मशहूर लेखक सलमान रुश्दी की भारत यात्रा विवादों में घिर गई है। सैटेनिक वर्सेज के लेखक 20 जनवरी को जयपुर लिटररी फेस्टिवल में शामिल होने आ रहे हैं। लेकिन सलमान रूश्दी के भारत आने का विरोध शुरु हो गया है। दारुल उलूम देवबंद ने सरकार से मांग की है कि रुश्दी का वीजा कैंसिल कर दिया जाना चाहिए। इससे एक खास समुदाय के लोगों की भावनाएं भड़क सकती हैं।
बीजेपी ने कहा है कि रुश्दी को भारत आने से रोकना चाहिए। कांग्रेस ने वीजा का मामला सरकार पर डालकर पल्ला झाड़ लिया है। पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि आज से पांच साल पहले जब सलमान रुश्दी जयपुर आए थे तो उनका कोई विरोध नहीं हुआ और आज अचानक क्या हो गया? दारुल उलूम देवबंद का कहना है कि रुश्दी ने पैगंबर साहब की शान में गुस्ताखी की है और मुस्लिमों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने ये भी कहा कि रुश्दी का भारत आना मुसलमानों के जज्बात के साथ खिलवाड़ होगा।
दरअसल सलमान रुश्दी के विचारों पर मुसलमानों के एक बड़े हिस्से को हमेशा आपत्ति रही है. खास तौर पर रुश्दी के आलोचकों का कहना है कि यूपी चुनाव के पहले उनके भारत आने से माहौल खराब हो सकता है. जानकारों का मानना है कि 17 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश में सलमान रुश्दी का कुछ भी असर हो सकता है. बीजेपी ने भी रुश्दी के भारत आने पर रोक लगाने की बात कही है. लेकिन सवाल ये है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां संविधान ने विचारों की अभिव्यक्ति को खुली छूट दी है, वहां किसी को आने से क्या रोका जा सकता है।
1 टिप्पणी:
२००७ में तो रश्दी का विरोध नही हुआ था और सबसे मजेदार बात है कि जिस सैटेनिक वर्सेज को लेकर विवाद हो रहा है, उसे अधिकांश लोगों ने पढा भी नही होगा। हमारे देश की सबसे बडी समस्या है कि झट बिना सोचे समझे विरोध करने लगते हैं।
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