चंद्रा के एक अनुरोध पर सीबीआई को नोटिस. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 9 जनवरी 2012

चंद्रा के एक अनुरोध पर सीबीआई को नोटिस.


दिल्ली हाईकोर्ट ने 2जी मामले में आरोपी तथा यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा के एक अनुरोध पर सीबीआई को नोटिस जारी कर 13 मार्च तक उसका जवाब मांगा है। चंद्रा ने निचली अदालत द्वारा उनके खिलाफ तय आरोपों को रद्द करने की मांग की थी।  

न्यायमूर्ति एम एल मेहता की पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। चंद्रा ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश के 22 अक्टूबर, 2011 के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा कि यह फैसला लापरवाही और असावधानी से किया गया है। उन्होंने कहा था कि बिना न्यायिक सोच के फैसला सुनाया गया है क्योंकि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि उन्होंने गलत आर्थिक फायदे के लिए किसी सरकारी अधिकारी के साथ साजिश रची थी।

चंद्रा ने दलील दी थी कि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि याचिकाकर्ता ने खुद को गलत तरह से आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए अथवा भारत सरकार को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी रूप में किसी सरकारी अधिकारी के साथ साजिश रची। याचिका में कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने या उनकी कंपनी ने यूनीफाइड एक्सेस सर्विसेज लाइसेंस (यूएएसएल) हासिल करने के लिए कोई रिश्वत दी थी और इस लिहाज से उनका मामला शेष आरोपियों से अलग है।

चंद्रा ने कहा, प्रतिवादी (सीबीआई) द्वारा इसे कबूल करने के बावजूद निचली अदालत ने आरोप तय करने के अपने आदेश में रिश्वत के आरोपों के तार यूनीटेक वायरलैस कंपनी से गलत तरह से जोड़े। उन्होंने कहा कि निचली अदालत का फैसला मान्य नहीं है क्योंकि सीबीआई पूरे मामले में उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहरा सकी। निचली अदालत ने भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत चंद्रा के खिलाफ आरोप तय किये थे।

अदालत ने कहा था कि चंद्रा ने लाइसेंस हासिल करके दूरसंचार विभाग के साथ धोखाधड़ी की, जबकि समूह की आठ कंपनियां आवेदन के समय लाइसेंस के लिए योग्य नहीं थीं। निचली अदालत ने कहा था कि प्रथमदृष्टया लगता है कि यूनिटेक वायरलैस (तमिलनाडु) प्राइवेट लिमिटेड 2जी लाइसेंसों के लिए अयोग्य थी और लाइसेंस हासिल करने के तत्काल बाद शेयर बेचकर कंपनी ने गलत तरह से बड़े स्तर पर लाभ हासिल किया।
निचली अदालत ने इसी फैसले में अन्य आरोपियों के खिलाफ भी आरोप तय किये थे। इनमें पूर्व संचार मंत्री ए राजा और द्रमुक की राज्यसभा सदस्य कनिमोझी शामिल हैं।

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