महापंचायत ने सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन की गुंजाइश को नकार दिया है। अलग-अलग पार्टियों और संगठनों से जुटे नेताओं ने कहा कि सीएनटी एक्ट आदिवासियों-मूलवासियों का सुरक्षा कवच है। कहा कि आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक शोषण बरकरार है। इस पर लोगों को संगठित होने की जरूरत है। सीएनटी पर एटीआई सभागार में आयोजित महापंचायत में एक दर्जन से अधिक संगठनों के नेता जुटे। सभी ने अपनी बात रखी। नेताओं ने कहा कि इस कानून में उठे विवाद के लिए मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक जिम्मेवार हैं। गांव-गांव में एक्ट के प्रति लोगों को जागरूक करने का संकल्प लिया गया। महिला आयोग की सदस्य वासवी किडो ने पुनर्वास का मामला उठाया।
देवनाथ चंपिया ने आदिवासी-मूलवासी से एकजुट होने का आह्वान किया। महापंचायत में 16 प्रस्ताव पारित किए गए।जमकर हुई नारेबाजी महापंचायत में जमकर नारेबाजी हुई। सर्वदलीय बैठक का नाटक बंद करो, सीएनटी एक्ट लागू करो जैसे नारे लगे। महिलाओं ने भी अपनी बात रखी। नेता जुटे, भीड़ नहींमहापंचायत में कई संगठनों के नेता आये, लेकिन वह भीड़ जुटाने में विफल रहे। महापंचायत की तैयारी काफी दिनों से की जा रही थी। जो नेता पहुंचे, वे ही कुछ लोगों को लेकर आये थे।
महापंचायत में कोई सांसद या विधायक नहीं आया। राजनीतिक दलों ने भी आयोजन से दूरी बनाये रखी। संगठन शामिल हुए : आदिवासी बुद्धीमंच, हो महासभा, सीएनटी एक्ट सुरक्षा समिति, कर्णपुरा बचाव समिति, जमैक, पहाडिम्या समुदाय, आदिवासी-मूलवासी छात्र संघ, वैश्य संघर्ष मोरचा के लगभग 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। नेता जो मौजूद थे : सूरज मंडल (पूर्व सांसद), शैलेंद्र महतो (पूर्व सांसद), सूर्य सिंह बेसरा (पूर्व विधायक), देवनाथ चंपिया, प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की और अन्य। ’
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