विधायक के खिलाफ चार वर्षों से ट्रायल लंबित. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 5 फ़रवरी 2012

विधायक के खिलाफ चार वर्षों से ट्रायल लंबित.


कटोरिया से भाजपा विधायक सोनेलाल हेम्ब्रम के साथ-साथ उनके एक पुत्र, दो भतीजे, दो साले तथा पुत्र के पांच दोस्त आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोपित हैं। इन सबों के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने 10 अक्टूबर वर्ष 2007 में अनुसंधान करने के बाद निगरानी की विशेष अदालत में चाजर्शीट दायर किया था।

विधायक समेत इन 12 लोगों पर  ब्यूरो ने जालसाजी व धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अदालत में चाजर्शीट दायर किया था। इन आरोपितों पर अदालत संज्ञान ले चुकी है। 27 फरवरी वर्ष 2008 को सरकार ने मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति दी थी। इसके बाद से अदालत में ट्रायल लंबित चल रहा है। इन पर 2 करोड़ 67 लाख 92 हजार रुपए आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने का आरोप है। 

दरअसल सरदार सुरजीत सिंह ने पटना हाईकोर्ट में वर्ष 1999 में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई के बाद पटना हाईकोर्ट ने ब्यूरो को श्री हेम्ब्रम पर प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था। उसके बाद 20 सितंबर वर्ष 2000 को ब्यूरो ने हाईकोर्ट के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज की थी। यह मामला उस समय का है जब हेम्ब्रम उत्पाद आयुक्त थे। ब्यूरो ने वर्ष 1988-89 से लेकर वर्ष 1998-99 तक की उनके आय से अधिक अजिर्त संपत्ति की जांच की है। आयकर की टीम ने 27 नवम्बर वर्ष 1997 को श्री हेम्ब्रम के आवास समेत कई स्थानों पर छापेमारी की थी। इसी में आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ था। 

अवैध रूप से कमाए इस काले धन को सफेद करने में विधायक के पुत्र रमेश हेम्ब्रम के पांच दोस्त भागवती नारायण झा, रामनरेश सिंह, नवीन कुमार, प्रवीण कुमार तथा कन्हाई राम पर भी आरोप है। रमेश ने व्यापार करने  के नाम पर इन दोस्तों से पांच लाख रुपए कर्ज लेने की बात कही थी। वहीं पत्नी गोमती हेम्ब्रम पर सोनेलाल को काली कमाई कर उसे छिपाने में सहयोग करने का आरोप है। गोमती की मृत्यु हो चुकी है। साला ननेश्वर मरांडी तथा शंभू मरांडी के साथ भतीजा मानिक हेम्ब्रम व भगत हेम्ब्रम पर भी यही आरोप है। पत्नी के नाम पर रांची में जमीन है। विधायक के नाम पर पटेलनगर में आलीशान मकान है। जांच में ब्यूरो को पता चला है कि नौकरी में आने से पहले विधायक तथा उनके परिवार के किसी सदस्य के पास कहीं भी जमीन नहीं थी। वर्ष 1967 में  हेम्ब्रम महालेखाकार, रांची में अंकेक्षक के पद पर थे। उसके बाद वर्ष 1972 में वे उत्पाद निरीक्षक हुए। वर्ष 1988 में हेम्ब्रम उत्पाद आयुक्त हुए। 

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