शिक्षा, शिशु मृत्यु दर और प्रति व्यक्ति आय सहित मानव विकास के मामले में पिछले पायदान पर खड़े बिहार की तस्वीर तेजी से बदल रही है। समावेशी विकास के लिए संसाधनों में बढ़ोत्तरी और निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। ये बातें एनआईपीएफपी नई दिल्ली के प्रोफेसर सुदिप्तो मंडल ने अपने व्यक्तव्य में कहीं। वे बिहार ग्लोबल समिट के एक वर्कशाप को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। वर्कशाप का विषय था मजबूत बिहार के लिए संसाधनों का निर्माण और प्रबंधन।
मंडल ने कहा कि अगर राज्य के लोगों को शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मिले तो एक शानदार वर्कफोर्स का निर्माण किया जा सकता है। इस अवसर पर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आनंद सिन्हा ने कहा कि आज राज्य के प्रति व्यक्ति सालाना आय औसतन 25,300 रुपये प्रति वर्ष तक हो गई है। सड़कों की स्थिति सुधरने से विकास ओर निवेश का माहौल बना है।
आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर सिद्धार्थ सिन्हा ने कहा कि राज्य में प्राइवेट बैंकिंग केवल तीन से चार फीसदी है जबकि देश में यह औसतन बीस फीसदी से अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य के उद्योगों को मिल रही 18000 करोड़ के सब्सिडी के सहयोग के स्वरूप को बदलने पर विचार किया जाना चाहिए। आईडीएफसी प्राइवेट इक्विटी के एमडी और सीईओ एमके सिन्हा ने कहा कि आर्थिक मंदी के बीच भारत सबसे सुरक्षित निवेश के केन्द्र के रूप में उभरा है। ऐसे में बिहार को विदेशी निवेश के प्रति अधिक सहयोगात्मक रवैया अपनाना होगा। राज्य की कृषि क्षेत्र के प्रति निर्भरता अधिक होने की वजह से भूमि अधिग्रहण को लेकर नए प्रावधानों पर विचार होना चाहिए। कार्यक्रम को इन्फ्रा सोल्यूशंस के निदेशक रोहित झा और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल सर्विस रिसर्च के फैलो अतुल शर्मा ने भी संबोधित किया। संचालन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी ने किया।

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