राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को राज्यों से अपील की कि वे जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) में तेजी से सुधार करें ताकि संसद में इस विधेयक के पारित होने के बाद सरकार उसे लागू करने की स्थिति में रहे। मुख्य सचिवों की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि विधेयक को पेश करना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का एक ऐतिहासिक कदम है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "कानूनी हक तभी वास्तविकता में बदल सकता है जब हम अपनी जन वितरण प्रणाली में सुधार करें और यह सुधार प्रभावी और तीव्र गति से हो..संसद में पारित हो जाने के बाद हम खाद्य सुरक्षा विधेयक को प्रभावी तरीके से लागू कर सकने की स्थिति में होंगे।" मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के समक्ष अलग-अलग तरह की चुनौतियां हैं और उन्होंने इन चुनौतियों को पहले ही पांच श्रेणियों-जीविका सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा का अहसास, ऊर्जा सुरक्षा, पारिस्थितिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता में विभाजित किया था। प्रधानमंत्री ने कहा, "यह हम सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है कि हम इन चुनौतियों के प्रति एक स्पष्ट समझ रखें और इन चुनौतियों से निपटते हुए केंद्र और राज्य को एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।"
मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के समक्ष जो मुश्किलें हैं उनसे निपटना मुश्किल नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा, "वास्तव में, हमने पहले भी अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना किया है। हमने संकट और विषम परिस्थितियां झेली हैं लेकिन प्रत्येक बार देश और मजबूती के साथ उभरा है।" उन्होंने कहा, "चुनौती चाहे जैसी भी हो, हमारे अंदर इच्छाशक्ति और कामयाबी हासिल करने की योग्यता है और इसके बारे में मुझे कोई संदेह नहीं है। बशर्ते कि हम दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ मिलकर काम करें।" पिछले एक साल में आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर कमोबेश शांति सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वाम-पंथी चरमपंथ से मिलने वाली गम्भीर चुनौतियां, सीमा पार से आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा अभी भी कायम हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से सख्त, प्रभावी और संवेदनशील तरीके से निपटने की जरूरत है।

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