प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कतर के अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी के साथ कई मुद्दों पर वार्ता की, जिसमें व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने और ऊर्जा सम्बंधी समझौते भी शामिल रहे। दोनों नेताओं में खाड़ी देश में काम कर रहे भारतीय कामगारों के कल्याण पर भी बात हुई।
वार्ता के बाद केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री एस. जयपाल रेड्डी और कतर के ऊर्जा मंत्री मोहम्मद बिन सालेह अल-सदा ने तेल एवं गैस में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए सहयोगी ढांचा बनाने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में तेल एवं गैस के उत्खनन और वितरण से सम्बंधित गतिविधियां शामिल हैं। इससे दोनों मंत्रालयों में तेल एवं गैस के लिए निवेश और सहयोग बढ़ने का अनुमान है।
कतर के पास रूस और ईरान के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस का भंडार है और हर वह साल 7.7 करोड़ टन तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का निर्यात कर सकता है। भारत लम्बी अवधि के ठेके के तहत कतर से 75 लाख टन एलएनजी की खरीददारी करता है। भारत ने 2010-11 में कतर से 56 लाख टन तेल की भी खरीददारी की और इसे और अधिक करने की योजना है। दोनों देशों के बीच शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन पर तीन अलग समझौते भी हुए। भारतीय रिजर्व बैंक और कतर सेंट्रल बैंक के बीच एक सहमति समझौता पर भी हस्ताक्षर हुआ। यह समझौता बैंकों की निगरानी में सहयोग से सम्बंधित है। कानूनी मामलों में विशेषज्ञता, सूचना और अनुभव के आदान प्रदान पर भी एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ।
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