माओवादियों ने इटैलियन नागरिक पाउलो बोसुस्को को छोड़ दिया है। माओवादियों ने 14 मार्च को कंधमाल जिले से दो इटैलियन नागरिकों क्लाउडियो कोलोंजेलो और पाउलो बोसुस्को को अगुवा किया था। कोलोंजेलो को माओवादियों ने पहले ही छोड़ दिया था। 10 अप्रैल को सीपीआई (माओवादी) के सचिव सब्यसाची पांडा की पत्नी सुभाश्री उर्फ मिली को एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया था। माओवादियों ने इटैलियन नागरिक को छोड़ने के बदले जिन लोगों को रिहा करने की मांग की थी, उनमें मिली भी शामिल थीं।
जेल से रिहा होने के बाद सुभाश्री ने कहा था, 'कुछ मांगों को पूरा कराने के लिए किसी को बंधक बनाना सही नहीं है। किसी को इस तरह से सरकार पर दबाव नहीं बनाना चाहिए। इस कदम से राज्य का नाम खराब होगा। विदेशी हमारे मेहमान हैं। मैं विदेशी नागरिक की रिहाई के लिए कदम उठाने के लिए तैयार हूं। मैं पाउलो बोसुस्को की रिहाई के लिए कोई भी परेशानी झेल सकती हूं।'
पांडा ने बोसुस्को को छोड़ने के बदले अपनी पत्नी समेत सात लोगों को रिहा करने की मांग की थी। सुभाश्री ने कहा था, 'जेल से मेरी रिहाई का माओवादियों द्वारा शर्तें रखने से कोई संबंध नहीं है। मेरे खिलाफ मामले में कोई दम नहीं है, अदालत ने मुझे बरी किया है।' एक और माओवादी गुट द्वारा बंधक बनाए गए बीजेडी विधायक झिना हिकाका अभी भी माओवादियों के कब्जे में हैं।
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2 टिप्पणियां:
achchhee, santulit khabar.....
ये सही है कि कुछ वर्षों से माओवादियों ने शर्तों के आधार पर अपनी अनेक ओर अनेक-अनेक अनुपूरक मांगों को भी मनवाया है देश के लिए कई सरदर्द के साथ ये भी लगातार बना हुआ है विदेशी हमारे मेहमान होतें हेँ ..सुभाशिरी का ये कहना सही है ..लेकिन आखिर ये कब तक चलता रहेगा ...विकल्प तो खोजने होंगे
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