मध्य प्रदेश सरकार भले ही पिछड़े राज्यों की सूची से मध्य प्रदेश को बाहर निकालने का दावा करे लेकिन जनसंख्या के आंकड़े दावों को मुंह चिढ़ाते नजर आते हैं। राज्य की 32 फीसदी आबादी बिजली, 71 फीसदी आबादी शौचालय और 21 फीसदी आबादी पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। मध्य प्रदेश जनगणना कार्य निदेशालय के निदेशक सचिन सिन्हा ने सोमवार को राज्य में उपलब्ध मकान, परिवारों को उपलब्ध सुविधाएं और परिसंपत्तियों को लेकर तैयार किए गए आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के हवाले से सिन्हा ने बताया कि राज्य में जनसुविधाओं में एक दशक में कुछ सुधार आया है, मगर यह प्रदेश अब भी पिछड़े राज्यों की सूची में बना हुआ है।
जनसुविधाओं के आधार पर देश के पिछड़े आठ राज्यों की सूची बनाई गई है जिसमें मध्य प्रदेश भी है। इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ व ओडिशा सहित सात अन्य राज्य पिछड़े राज्यों की सूची में शामिल है। जनगणना निदेशालय ने पिछले वर्ष सात मई से 22 जून तक मकान सूचीकरण का कार्य किया। आंकड़े बताते हैं कि बीते 10 वर्षो में मकानों की संख्या 140 लाख से बढ़कर 185 लाख हो गई है। विद्यालय व महाविद्यालयों के भवनों की संख्या में 94 फीसदी और धार्मिक स्थलों में साढ़े 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
आकंड़े बताते हैं कि राज्य के 79 फीसदी परिवारों को नल, हैंडपम्प, ट्यूबवेल व ढके हुए कुंओं से पीने का पानी मिल पा रहा है। राज्य के लगभग साढ़े 16 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जिन्हें नल से उपचारित पेयजल मिल पा रहा है। मात्र 24 फीसदी परिवारों के आवास परिसर में जलस्रोत उपलब्ध हैं। एक दशक में नलों की संख्या साढ़े 26 फीसदी बढ़ी है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य के लगभग 33 फीसदी परिवार अब भी बिजली से दूर है। 67 फीसदी परिवारों को ही प्रकाश के लिए बिजली मिल पा रही है। ग्रामीण इलाकों की 58.3 फीसदी परिवार ही बिजली का उपयोग कर पा रहे हैं तथा राज्य के 32 फीसदी परिवार अब भी रोशनी के लिए केरोसिन पर निर्भर हैं।
राज्य सरकार ने वर्ष 2011 तक शत-प्रतिशत शौचालय के उपयोग का लक्ष्य रखा था, मगर अब तक सिर्फ 28.8 प्रतिशत आवासों में ही शौचालय बन पाए हैं। 71 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जिन्हें शौचालय की सुविधा नहीं मिल पाई है। इसके अलावा 25.8 फीसदी परिवारों के पास ही स्नानगृह की सुविधा है तथा 21.4 प्रतिशत परिवारों में बिना छत का स्नानगृह है। 52.8 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जिनके पास स्नानगृह नहीं है। इतना ही नहीं, राज्य के 66.4 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं। एलपीजी गैस का लाभ 18.2 प्रतिशत परिवारों को ही मिल पा रहा है।
जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि मकान बढ़े हैं, टेलीविजन, स्कूटर व मोपेड, कार, जीप और बैंक खातों की संख्या में भी इजाफा हुआ है, फिर भी मध्य प्रदेश देश के पिछड़े आठ राज्यों की सूची में शामिल है। यह बात अलग है कि इस सूची में अलग-अलग मामलों में मध्य प्रदेश की स्थिति बदलती रहती है।


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