करवाने होंगे धार्मिक स्थलों की मरम्मत. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 30 जुलाई 2012

करवाने होंगे धार्मिक स्थलों की मरम्मत.


गुजरात विधान सभा चुनाव नजदीक आ चुके हैं, ऐसे समय में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश महंगा साबित हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया जिसमें राज्य सरकार को साल 2002 के दंगों में क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों की मरम्मत का निर्देश दिया गया था. 

गुजरात सरकार ने उच्च न्यायालय से कहा कि वह मुआवजे के मुद्दे पर एक योजना तैयार करने पर विचार करेगी. न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को गुजरात सरकार के महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार धार्मिक स्थलों की मरम्मत के बारे में उड़ीसा सरकार द्वारा की योजना की तर्ज पर ही राज्य में योजना बनाने पर विचार करेगी. ओडीसा सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर धार्मिक स्थलों की मरम्मत की योजना तैयार की थी.

न्यायाधीशों ने राज्य में 2002 के दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों की मरम्मत और उनके पुनर्निमाण के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने गुजरात सरकार की अपील पर सुनवाई 14 अगस्त के लिए स्थगित कर दी है. न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह उस दिन धार्मिक स्थलों की मरम्मत के बारे में अपनी योजना से अवगत कराये. 

उच्च न्यायालय ने गोधरा कांड के बाद राज्य में भड़की सांम्प्रदायिक हिंसा के दौरान ’’निष्क्रियता और लापरवाही’’ के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया था. इस हिंसा के दौरान राजय में बड़ी संख्या में धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया गया था.  उच्च न्यायालय ने गुजरात की इस्लामिक रिलीफ कमेटी की याचिका पर आठ फरवरी को पांच सौ से अधिक ऐसे धार्मिक स्थलों की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए उन्हें मुआवजा देने का आदेश दिया था. इस संगठन का दावा था कि दंगों से 535 धार्मिक स्थल प्रभावित हुए थे. इनमें से 37 की अभी भी मरम्मत होनी है. 9 जुलाई 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से गुजरात के 2002 के दंगों के दौरान राज्य में क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों की जानकारी मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम धार्मिक स्थलों को मुआवजा दिए जाने की मांग से जुड़े मामले में यह निर्देश दिया था. 

जस्टिस के. एस. राधाकृष्णन और जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सोमवार को गुजरात सरकार को क्षतिग्रस्त धार्मिक स्थलों के विवरण के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार को यह भी स्पष्ट करना है कि इन धार्मिक स्थलों के निर्माण और इनकी मरम्मत पर कितना पैसा खर्च होगा. इस मामले में अगला फैसला आने के लिए उसी दिन 30 जुलाई की तारीख निश्चित हो चुकी थी. जजों ने गुजरात हाई कोर्ट के 8 फरवरी के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया था. हाई कोर्ट ने दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों को मुआवजा देने का निर्देश मोदी सरकार को दिया था.

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही गुजरात सरकार ने दलील दी था कि धार्मिक स्थलों के निर्माण और मरम्मत के लिए जनता के धन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इस पर जजों ने कहा कि वे इस तर्क पर गौर करेंगे कि क्या जनता के पैसे का इस्तेमाल क्षतिग्रस्त धार्मिक स्थलों को उनके पहले वाले स्वरूप में लाने के लिए हो सकता है या नहीं? 

जजों ने कहा कि बाढ़ या भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त हुए मकानों के लिए सरकार मुआजवा देती है तो फिर धार्मिक स्थलों के मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 के दंगों के दौरान निष्क्रियता और लापरवाही के लिए आठ फरवरी को राज्य सरकार को फटकार लगायी थी. कोर्ट ने गुजरात के गैर सरकारी संगठन इस्लामिक रिलीफ कमिटी की याचिका पर दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए पांच सौ से अधिक धार्मिक स्थलों को मुआवजा देने का आदेश राज्य सरकार को दिया था. 

कोर्ट का कहना था कि यदि सरकार दंगों में क्षतिग्रस्त मकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए मुआजवा दे सकती है तो फिर धार्मिक स्थलों के लिए मुआवजा क्यों नहीं दिया जा सकता? कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण हो चुका है तो राज्य सरकार को इस पर आए खर्च की भरपाई करनी चाहिए. इसके अलावा राज्य विधान सभा चुनाव आगामी नवंबर में होने हैं. ऐसे में मुस्लिम समुदाय के प्रति अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के उनके प्रयासों को बड़ा झटका लग सकता है. 

कोई टिप्पणी नहीं: