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रविवार, 19 अगस्त 2012

कोसी पीड़ित चार साल बाद भी उपेक्षित.


कोसी बाढ़ त्रासदी के पीड़ित आज भी उपेक्षा के शिकार हैं। कोसी क्षेत्र के हजारों एकड़ उपजाऊ खेतों में अभी तक बालू भरा पड़ा है। आपदा में क्षतिग्रस्त हुए लाखों घर पुनिर्माण की राह देख रहे हैं। वहीं सरकार कोई सुध नहीं ले रही। ये बातें कोसी विकास संघर्ष सिमित की ओर से आयोजित जन सुनवाई में कोसी पीड़ितों ने कही। गांधी मैदान के कारिगल चौक पर शिनवार को कोसी पीड़ितों के पुनर्वास पर यह जन सुनवाई आयोजित की गई। 

जन सुनवाई में आए कोसी पीड़ितों ने कहा कि पुनर्वास की लचर नीति के कारण लोग किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ती और पुनर्वास कार्यक्रम से विंचत हैं। पुल-पुलिया और सड़क क्षितग्रस्त ही हैं जिंससे आवागमन काफी दुरुह हो गया है। सुपौलजिंला के वसंतपुर के अंचलाधिकारी ने सूचना के अधिकार के तहत एक सवाल के जवाब में बताया कि उस अंचल के 14129.70 एकड़ खेतों में बालू भरा है। इस एक अंचल के बालू भराव से अनुमान लगाया जा सकता है कि सुपौल, मधेपुरा और सहरसाजिंले के कितने खेतों में बालू भरा होगा।

सरकारी आंकड़ो के मुताबिक 2,36,632 घर ध्वस्त हुए हैं जबकि सरकार उचित व्यवस्था नहीं कर पाई है। लाखों लोग आजीविका से हाथ धो बैठे हैं। वहीं सरकार के द्वारा गिठत कोसी बांध कटान न्यायिक जांच आयोग ने करोड़ो रुपए खर्च होने के बावजूद अब तक सुनवाई पूरी नहीं की है। जनसुनवाई में मधेपुराजिंले के लखन लाल दास, बेचन, दुनीदत्त, रामजी, सुश्री मरीषा, सीता, गीता, रामजीदास, विजेन्द्र और सुपौलजिंले से आए दीनानाथ यादव, चंद्रेश कुमार, दिलीप, विवेकानंद, ललित ने भी अपनी बातें रखी।

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