संसद का मॉनसून सत्र दोनों सदनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए जाने के साथ ही खत्म हो गया है। यह पूरा सत्र कोयला घोटाले को लेकर विपक्ष के जोरदार हंगामे की भेंट चढ़ गया।
इससे पहले हंगामे की वजह से ही शुक्रवार सुबह भी सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। उस समय भी बीजेपी नेताओं की दलील थी कि सदन के वेल में जाना विरोध करने का एक वाजिब तरीका है। उनका जवाब है कि वे तो वही कर रहे हैं, जो कांग्रेस ने करगिल युद्ध से जुड़े कॉफिनगेट स्कैम में किया था, तब संसद में 21 दिन काम नहीं हो पाया था। संसद का 80 फीसदी वक्त बेकार चला गया यानी जनता की कमाई पर लगे टैक्स का दस करोड़ रुपया यों ही खर्च हो गया और कोई अहम कामकाज हो नहीं पाया।
कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर आज एनडीए संसद में धरने पर बैठ गई। बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ संसद के अलावा बाहर भी मोर्चा खोल दिया है। बीजेपी इस मामले में शुरू से कहती आई है कि हर कोयला ब्लॉक आवंटन पर प्रधानमंत्री की मंजूरी का ठप्पा लगा है। लिहाजा, जिम्मेदारी उन्हीं की बनती है। इसके अलावा कांग्रेस ने भी विपक्ष को जवाब देने के लिए देशभर में हफ्तेभर आंदोलन करने की घोषणा कर रखी है। कांग्रेस संसद में विपक्ष के रवैये के बारे में जनता को बताएगी।
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