सपा एवं बसपा सदस्यों के बीच हाथापाई. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 5 सितंबर 2012

सपा एवं बसपा सदस्यों के बीच हाथापाई.


सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने संबंधी विधेयक बुधवार को भारी हंगामे के बीच राज्यसभा में पेश कर दिया गया और इस दौरान इसका विरोध कर रहे सपा एवं इसके समर्थक बसपा सदस्यों के बीच हल्की हाथापाई भी हुई।  
     
हंगामे के बीच सपा सदस्यों ने संविधान (117वां संशोधऩं) विधेयक, 2012 पेश करने वाले कार्मिक, प्रशिक्षण एवं लोक शिकायत राज्य मंत्री वी नारायणसामी की ओर बढ़ने का प्रयास किया। लेकिन सत्तापक्ष के सदस्यों की मुस्तैदी के कारण सपा सदस्य उन तक नहीं पहुंच सके। 
    
नारायणसामी आज पहली दो पंक्तियों में नहीं बैठकर तीसरी पंक्ति में बीचोंबीच बैठे थे और उन्हें सत्तापक्ष के सदस्य घेरे हुए थे, ताकि विधेयक विरोधी सदस्यों को उन तक पहुंचने की आशंका को टाला जा सके. विधेयक पेश किए जाने से पहले ही सदन में गहमागहमी थी। सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे जब फिर शुरू हुई, तो उपसभापित पी जे कुरियन ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। सपा के नरेश अग्रवाल और बसपा के अवतार सिंह करीमपुरी आपस में उलझ गए। करीमपुरी ने न केवल अग्रवाल, बल्कि सपा के अन्य सदस्यों को भी आसन के समक्ष जाने से रोकने का प्रयास किया। करीमपुरी ने अग्रवाल का हाथ पकड़ने का प्रयास किया, जिसका अग्रवाल और सपा के अन्य सदस्यों ने विरोध किया। बाद में बसपा के सदस्यों ने करीमपुरी को शांत कराया। इसके बाद सपा के सदस्य आसन के समक्ष जमा हो गए और प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। 
      
हंगामे के बीच ही कुरियन ने उनसे विधेयक पेश करने को कहा। जब नारायणसामी विधेयक पेश करने के लिए खड़े हुए, तो जहां सपा के नरेश अग्रवाल आसन की मेज की ओर बढ़ने लगे, वहीं सपा के कई अन्य सदस्य सत्तापक्ष की ओर बढ़ गए और विधेयक पेश किए जाने का विरोध करने लगे। कांग्रेस के सदस्यों ने सपा के सदस्यों को समझाते हुए आगे बढ़ने से रोक दिया। 
     
हंगामे के बीच ही नारायणसामी ने विधेयक पेश कर दिया और कुरियन ने इस विधेयक को पेश करने के लिए सदन की अनुमति मांगी। लेकिन रामगोपाल यादव सहित सपा के सदस्य इस पर मत विभाजन की मांग करने लगे। इस पर कुरियन ने उनसे कहा कि वे आसन के पास आकर यह मांग नहीं कर सकते और उन्हें अपनी सीट पर जाकर यह मांग करनी चाहिए। 
      
कुरियन ने इसके बाद विधेयक को पेश करने की ध्वनिमत से मंजूरी मिलने की घोषणा की। कुरियन की इस घोषणा का सत्तापक्ष और बसपा प्रमुख मायावती सहित विभिन्न सदस्यों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया।  इस दौरान भाजपा के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर कोयला मुद्दे पर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते रहे, लेकिन कोई भी सदस्य आसन के समक्ष नहीं आया। विधेयक पेश किए जाने के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी सदन में मौजूद थे। 

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