दूरी बनाए झूठों और झूठन चाटने वालों से - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

दूरी बनाए झूठों और झूठन चाटने वालों से


दुनिया भर में मानव समुदाय के लिए सर्वाधिक घृणित और त्याज्य जो कारक है वह है झूठ। यह झूठ ही है जो इंसान को  क्या से क्या बनने को मजबूर कर देता है। फिर एक बार कहीं गलती से भी झूठ की कहीं कोई बुनियाद खड़ी हो जाती है तब इस पर सत्य नहीं टिक  पाता है और झूठ ही झूठ का महल खड़ा  होता रहता है। एक बार भी सायास या अनायास झूठ का सहारा ले लिया जाए तो फिर वह झूठ मरते दम तक हमारा पीछा नहीं छोड़ता। एक के बाद एक झूठ हमारे साथ जुड़ते चले जाते हैं और हमारा पूरा जीवन झूठ से ही घिरने लगता है जहां से निकलना हमारे बूते में नहीं होता। मनुष्य आम तौर पर छोटी-मोटी ऎषणाओं, किसी ज्ञात-अज्ञात भय, आपराधिक प्रवृत्तियों या फिर अपनी शेखी बघारने या औरों से ऊँचा दिखने के फेर में झूठ का सहारा लेता है। अधिकतर बार झूठ का सहारा वे लोग लेते हैं जो कायर, कपटी और भयग्रस्त होते हैं अन्यथा सत्य का भान किसे भी हो जाने पर लोग सच्चे आदमियों का कभी कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

एक बार किसी छोटी सी बात के लिए झूठ बोल देने वाले आदमी के लिए झूठ का अजस्र स्रोत उसके जीवन के लिए खुल जाता है और फिर वह बार-बार से लेकर हर बार झूठ बोलने लगता है। उसके लिए झूठ बोलना न कोई अपराध होता है और न उसे कभी झूठ बोलना असहज लगता है। उसे लगने लगता है कि संसार से व्यवहार करना है तो झूठ उसके लिए अच्छा उत्प्रेरक है और इसको अपना लेने पर जीवन में कई समस्याओं का समाधान तो हो ही जाता है, कई इच्छाओं की पूर्ति का मार्ग आसान हो  जाता है। आजकल हमारे आस-पास की बात हो, या दूर की, या फिर अपने क्षेत्र की, हर तरफ झूठे लोगोें का बोलबाला है और असंख्यों लोग ऎसे हैं जिनकी दुकान या चवन्नी ही झूठ का सहारा पाकर चलती-दौड़ती है। ऎसा नहीं कि झूठ बोलने वाले सिर्फ आम आदमी ही हुआ करते हैं। झूठ सभी धर्मों, जातियों, पंथों और सम्प्रदायों से ऊपर है और यह सभी में, सभी तरफ भरपूर मात्रा में देखा जा सकता है। बड़े से बड़ा राजनेता हो या नौकरशाह, या फिर बिजनैसमेन से लेकर फुटपाथी, बुद्धि बेच कर जीने वालों से लेकर आवाराओं की तरह इधर-उधर मुंह मारते छुटभैयों, (अ)सामाजिक क्रिया-कर्मियों और नाकारा-नुगरों तक में झूठ का प्रचलन जबर्दस्त पसरा हुआ है।

अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों से लेकर अपने इलाके के चुनिन्दा गणमान्य, सर्वमान्य कहे जाने वाले सम्मान के भूखे, मंच और लंच पिपासु लोगों सूची बनाकर ही इनके जीवन के देखा जाए तो साफ पता चलेगा कि कुछ अपवादों को छोड़ कर सारे के सारे झूठे हैं। और जहां झूठ का साया छा जाता है वहां मक्कारी, बेईमानी, हरामखोरी और विश्वासघात अपने आप डेरा डाले रहते हैं। संसार में जो-जो बुराइयां हैं वे सभी झूठ के परिवार का अनन्य हिस्सा हुआ करती हैं। इसलिए जहां झूठ का प्रवेश हो जाता है वहां सभी प्रकार की बुराइयां अपने आप पसरने लग जाती हैं। जो लोग झूठ बोलते हैं उनके जीवन में भले ही तात्कालिक सफलता प्राप्त होती दिखे मगर ऎसे लोग मनुष्य के रूप में अपने  जीवन लक्ष्यों में पग-पग पर विफल रहते हैं। इसके साथ ही इनके जीवन में प्रसन्नता कभी इनके द्वार दस्तक तक नहीं देती। झूठ बोलने वाले और झूठे कामों का सहारा लेने वाले लोग दुस्साहसी होते हैं और जो व्यक्ति जीवन में झूठ को अंगीकार कर लेता है वह अपने स्वार्थ के लिए छोटे से लेकर किसी भी बड़े स्तर  तक के अपराध और षड़यंत्र करने में पीछे नहीं रहता।

यह बात उन लोगों को अच्छी तरह समझ मेें आनी चाहिए जो अपने किसी न किसी स्वार्थ और गलत-सलत धंधों में बरकत लाने के लिए ऎसे झूठे लोगों के आगे-पीछे घूमते हैं और उनकी चरण वन्दना से लेकर हर प्रकार की सेवा करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं और मौका आने पर सब कुछ सहर्ष सौंप देने में गर्व और गौरव का अनुभव करते हैं। झूठ और झूठन का सदियों पुराना गहरा रिश्ता रहा है। झूठ बोलने का काम ऎसे ही लोग करते हैं जो दूसरों की झूठन और खुरचन पर पलते हैं। एक बार झूठन का चस्का लग जाने के बाद चिता पर सोये हुए ऎसे लोगों को भी यदि झूठन का कतरा मुंह में डाल दिया जाए तब भी इनका चेहरा कुछ क्षण के लिए प्रसन्नता और कृतज्ञता के भाव व्यक्त करने लगेगा। जिन्दगी भर कभी इधर की, कभी उधर की झूठन और बची हुई खुरचन का स्वाद पाने और चौबीसाें घण्टे लार टपकाने के आदी इन लोगों की सारी आदतें तक बदल जाती हैं। यह झूठन ही है जो जिह्वा पर आकर झूठ के रूप में एकाधिकार कर बैठ जाती है। ऎसे में इन लोगों का सत्य से संबंध पूरी तरह विच्छेद हो जाता है और इनका जीवन झूठ के सहारे ही पलने और आगे बढ़ने लगता है।

जमाने में जहां कहीं मुफतिया झूठन का मौका आता है तब झूठे लोगों का सजातीय आकर्षण की वजह से उस तरफ स्वतः खिंचाव होने लगता है। यही कारण है कि एक झूठे से दूसरे झूठे की घनिष्ठता इतनी प्रगाढ़ होती है जितनी उसके कुटुम्बियों तक से नहीं। झूठे लोगों का भी अपना लम्बा-चौड़ा समाज बन जाता है जो समाज-जीवन की छाती पर जहां-तहां अपने पांव चौड़े किए, पसरे हुए या रेंगते-भागते देखे जा सकते हैं। झूठों के समाज को परिभाषित भले न किया जाए, झूठों का गोत्र और सम्प्रदाय खूब लम्बा है और दुनिया के कोने-कोने तक में देखने और अनुभव करने को मिल जाता है। इनका पूरा धंधा और जीवन ही झूठ के सहारे चलता है। झूठों की दुनिया में किसी को भी हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता बल्कि एक झूठा अपने कामों के लिए किसी भी दूसरे झूठे को झूठ के सहारे प्रसन्न कर सकता है और बरगला भी। झूठ बोलने वाले लोग भले ही दुनियावी कामों में फरेबों और षड़यंत्रों का इस्तेमाल कर तरक्की पाने का दंभ भरें मगर इनकी वाणी कभी फलती नहीं है और इनका कोई काम अपने बूते कभी नहीं हो सकता। इन्हें हमेशा अपने कामों के लिए किसी दूसरे बड़े झूठे की शरण लेनी ही पड़ती है।

पूरी जिन्दगी में ये इसी तरह असंख्यों झूठों की मदद से आगे बढ़ते रहते हैं। इन लोगों के लिए झूठ का सहारा एकमात्र ऎसा ब्रह्मास्त्र है जिसके आगे डिग्रियां, हुनर और ज्ञान-विज्ञान सारे विफल हैं। इन झूठ बोलने वालों और झूठन चाटने के आदी लोगों से जो लोग बोलचाल और खान-पान का व्यवहार रखते हैं उन लोगों का भाग्य तो दूषित होता ही है, इनके सम्पर्क की वजह से सारे ग्रह भी खराब प्रभाव देते हैं, और पितरों की कुदृष्टि तो इसलिए बनी ही रहती है कि झूठे लोग सारी लोक-लाज छोड़कर अपने वंश की गरिमा को मिट्टी में मिला देते हैं। झूठों और झूठन का स्वाद लेने वाले लोगों से ज्यादा सम्पर्क दुर्भाग्य ला देता है और इसका कोई उपचार नहीं है। इसलिए उन लोगों से दूरी बनाये रखें जो झूठे हैं और झूठन चाटने के लिए कुछ भी करने कों तैयार रहते हैं। चाहे वे अपने कितने ही सगे-संबंधी या घनिष्ठ मित्र क्यों न रहें हों। वरना हमारा भगवान ही मालिक है।


---डॉ. दीपक आचार्य---
941306077

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