इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जयपाल रेड्डी को तेल मंत्रालय से हटाने का कारण सरकारी बिजली कम्पनियों में आपूर्ति की जाने वाली गैस की कीमत बढ़ाने के रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रस्ताव को अस्वीकार करना था। केजरीवाल ने मुकेश अम्बानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी बेसिन आवंटन को रद्द करने की मांग की।
केजरीवाल ने केजी डी-6 बेसिन मुद्दे पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मुकेश अम्बानी के साथ साठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा, ''लगता है देश को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं बल्कि मुकेश अम्बानी चला रहे हैं। सरकार कॉरपोरेट के आगे बेबस दिख रही है।'' केजरीवाल ने कहा, ''कांग्रेस एवं भाजपा दोनों मुकेश अम्बानी के मददगार हैं। वर्ष 2000 में तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने सस्ती गैस तुरंत मुहैया कराने के लिए रिलायंस को केजी डी-6 बेसिन आवंटित की थी।'' उन्होंने कहा कि रिलायंस एनटीपीसी को 2004 में समझौते के अनुसार 2.25 डॉलर प्रति यूनिट की दर से 17 साल तक के लिए गैस आपूर्ति पर राजी हो गया लेकिन दो साल बाद ही इसे बढ़ाकर 4.25 डॉलर प्रति यूनिट की मांग की।
केजरीवाल ने महंगाई को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए कहा, ''वर्ष 2007 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह ने रिलायंस के दबाव के आगे झुकते हुए 2014 तक 4.25 डॉलर प्रति यूनिट के हिसाब से अनुमति दे दी।'' उन्होंने कहा कि रिलायंस ने फिर दबाव बनाया और गैस की आपूर्ति 14 डॉलर प्रति यूनिट की बात कही। इसके अलावा मुकेश अम्बानी ने गैस की जमाखोरी करते हुए गैस उत्पादन 8000 करोड़ यूनिट से घटाकर 2000 यूनिट कर दी। केजरीवाल ने कहा कि इसकी वजह से गैस आधारित बिजली घरों को बंद करना पड़ा।
केजरीवाल ने कहा, ''जब जयपाल रेड्डी ने रिलायंस की कारगुजारियों के खिलाफ आवाज उठाई और 7000 करोड़ रुपये के जुर्माने का नोटिस भेजा तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। मुकेश अम्बानी के दबाव में रेड्डी को मंत्रालय से हटा दिया गया।'' केजरीवाल ने दावा किया कि भाजपा और कांग्रेस रिलायंस की मुट्ठी में हैं।
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