विकलांगता का दंश झेल रहे बिहार के लोगों को जल्द से राहत मिलने वाली है। दुर्घटना के दौरान हाथ-पांव गवां चुके लोगों को इलाज के लिए अब राज्य से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। जल्द ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ऐसे लोगों का इलाज शुरू होगा।
एम्स में कृत्रिम अंग केन्द्र की स्थापना की जा रही है। इस केन्द्र में कृत्रिम और सहायक अंगों का निर्माण किया जाएगा। लोग इस केन्द्र में तैयार कृत्रिम और सहायक (कॉस्मेटिक हड्डियों) अंगों के इस्तेमाल से एक बार फिर सामान्य जीवन जी सकेंगे। इस केन्द्र में तैयार अंग काफी कम खर्च में उपलब्ध होगा। यहां तैयार अंगों की कीमत एक हजार से छह हजार के बीच होगी। जबकि देश के बड़े शहरों में इन्हीं अंगों को लगवाने में हजारों रुपए खर्च होते हैं। एम्स में बने रहे कृत्रिम अंग केन्द्र व पुनर्वास की स्थापना के लिए लखनऊ के चिकित्सक विश्यविद्यालय के चिकित्सकों की सहायता लिया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के पुनर्वास विशेषज्ञ अरविंद कुमार निगम पटना में रहकर एम्स के कृत्रिम अंग केन्द्र को चालू करने में योगदान दे रहे है। यहां तैयार होने वाला अंग अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार होगा। एम्स के निदेशक डा. गिरीश कुमार सिंह का कहना है कि उनकी योजना मरीजों के घर तक पहुंचने की है। इसके लिए दियारा इलाके में फ्लोटिंग अस्पताल की व्यवस्था की जाएगी, जो वहां मौजूद गरीब और लाचार मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। इसमें ऑपरेशन की भी सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा गांवों में चिकित्सा शिविर लगाकर मरीजों का इलाज करने की योजना है। कृत्रिम अंग केन्द्र जल्द ही चालू हो जाएगा। इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। कृत्रिम अंग व पुनर्वास केन्द्र होने से कम खर्च में विकलांगों का इलाज होगा। डा. गिरीश कुमार सिंह, निदेशक पटना एम्स।
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