टिहरी उपचुनाव को लेकर उत्तराखण्ड में मीडिया की मंडियां लगनी शुरू हो गई है। मोलभाव के साथ साथ अपने अपने पक्ष में खबरो को लेकर मैनेजमैंट तेज हो गया है वहीं बीते दिवस राजधानी के एक होटल में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की पत्रकार वार्ता के दौरान मीडिया के एक व्यक्ति द्वारा जिस तरह से खुलेआम पत्रकारिता को शर्मसार कर दिया वहीं यह बात भी साबित हो गई कि मीडिया के कुछ लोग पत्रकारिता को बेचकर नेताओ की चरण वंदना में लगे हैं। उत्तराखण्ड में मीडिया को जनता के बीच विश्वसनीयता के साथ देखा जाता है लेेकिन इस घटनाक्रम ने मीडिया की साख को गिराने का काम किया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे लोगो का आ जाना मीडिया के स्तर को जहां गिरा रहा है वहीं पूरे समाज को अपमानित भी होना पड़ रहा है। चुनाव में विज्ञापन के नाम पर राजनैतिक दल मीडिया घरानो को मुह मांगी कीमत अदा करते हैं लेकिन यह सब पर्दे के पीछे से संचालित होता है लेकिन जिस तरह से भाजपा की पत्रकार वार्ता में खुलेआम पैसे मांगे जाने का घटनाक्रम घटित हुआ है उससे लग रहा है कि उत्तराखण्ड में टिहरी उपचुनाव के चलते मीडिया की मंडियां लगनी शुरू हो गई हैं। भाजपा की पत्रकार वार्ता में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने हुआ यह घटनाक्रम पत्रकारिता के लिए बेहद शर्मनाक घटना है और इस तरह की घटनाओ की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए पत्रकार समाज को ऐसे लोगो पर अंकुश लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए नही तो उत्त्राखण्ड के मीडिया की साख बिकाउ पत्रकारिता के रूप् में देशभर के सामने उजागर हो जाएगी और पत्रकारिता को बिकाउ मीडिया के नाम से जाना जाएगा। घटनाक्रम के बाद कुछ लोगो द्वारा उक्त व्यक्ति का समर्थन भी किया गया जिनका वजूद मीडिया जगत में ना के बराबर माना जाता ळै लेकिन अधिकतर पत्रकारो ने इस घटनाक्रम पर बेहद अफसोस भी व्यक्त किया उनका कहना था कि समाज में ऐसे लोगो को कोई स्थान नही मिलना चाहिए जो खुले मंच पर पत्रकारिता केा बिकाउ के रूप में उजागर कर रहे हैं जिससे समाज के अंदर पत्रकारिता की छवि धूमिल हो रही है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मुकेश महेन्द्रू को मीडिया की जिम्मेदारी दी गई है और उन्होने मीडिया को पैसा बाटे जाने की बात से साफ इन्कार किया है। उन्का कहना है कि मीडिया को विज्ञापन के रूप में भाजपा संगठन द्वारा विज्ञापन दिए जाएंगे। कुल मिलाकर घटनाक्रम ने पत्रकारिता के समाज को राजनेताओ की चौखट पर बिकाउ मीडिया के नाम पर उजागर कर दिया है जिससे उत्तराखण्ड में मीडिया की छवि धूमिल हो गई है। पत्रकार समाज में इस बात को लेकर नाराजगी भी देखने को मिल रही है और कई वरिष्ट पत्रकार इस संस्कृति को पत्रकारिता के अनुरूप ठीक नही मान रहे उनका साफ कहना है कि मीडिया की छवि इमानदार व विश्वसनीयता की कसौटी पर जनता के बीच बनी हुई है और ऐसी घटनाओ से जनता के बीच मीडिया की कमजोर पकड़ हो जाएगी। चुनाव में मीडिया मेनेजमैंट को लेकर हर राजनेतिक दल अपने अपने स्तर से मीडिया मैनेज करता ळै लेकिन यह पहला उदाहरण है जब पूर्व राष्टीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के सामने यह घटनाक्रम उजागर हुआ है इससे पूर्व दूसरे राज्यो में जहां भाजपा के लालाकृष्ण आडवानी रथ यात्राओ के माध्यम से निकले थे तब भी पैसा बांटे जाने की चर्चाएं सामने आई थी।
(राजेन्द्र जोशी)
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