गोरखालैंड के लिए उग्र आंदोलन की धमकी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 31 जनवरी 2013

गोरखालैंड के लिए उग्र आंदोलन की धमकी.

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा प्रमुख (गोजमो) व जीटीए के सीईओ विमल गुरुंग द्वारा बुधवार को पृथक गोरखालैंड राज्य के लिए उग्र आंदोलन चलाने की धमकी दिए जाने के बाद दार्जिलिंग के एक बार फिर से सुलगने की आशंका बढ़ गई है. इसके साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनकी दोस्ती भी खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है. उल्लेखनीय है कि मंगलवार को दार्जिलिंग में उत्तर बंगाल उत्सव का उद्घाटन करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि दार्जिलिंग प. बंगाल का अभिन्न अंग है और इसे राज्य से अलग नहीं होने दिया जाएगा. ममता का भाषण समाप्त होते ही गोजमो के समर्थक उनके सामने पृथक गोरखालैंड की मांग को लेकर नारे लगाने लगे. इस घटना से मुख्यमंत्री क्षुब्ध हो गई. दूसरी ओर विमल गुरुंग भी इस बात से नाराज थे कि उन्हें आधिकारिक तौर पर दार्जिलिंग में होने वाले कार्यक्रम की सूचना नहीं दी गई.

उन्हें यह बात बुरी लगी कि ममता ने दार्जिलिंग उत्सव के मंच से रिमोट कंट्रोल के जरिए विजनबाड़ी पुल का उद्घाटन किया. गुरुंग ने इस पुल के उद्घाटन के तरीके को गलत माना और घोषणा की कि पुल का उद्घाटन वे पूजापाठ के जरिए करेंगे और बुधवार को उन्होंने पूजापाठ के साथ ही इस पुल का उद्घाटन किया. 11 अक्टूवर 2011 को उस समय विजनबाड़ी पुल के टूट जाने से 33 लोगों की मौत हो गई थी जब गुरुंग के नेतृत्व में गोजमो का कार्यक्रम चल रहा था. गुरुंग को इस बात की तकलीफ है कि जीटीए (गोरखा टेरिटोरियल आथरिटी) को बिना बताए बिजनवाड़ी पुल का उद्घाटन रिमोट से किया गया और दुर्घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी नहीं दी गई. 

बुधवार को सेतु का फिर से उद्घाटन करते हुए गुरुंग ने मुख्यमंत्री की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वह दार्जिलिंग में विभाजन की नीति अपना रही हैं. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने लेपचा और बौद्ध प्रतिनिधियों से मिलकर अलग विकास परिषद की घोषणा कर दी. गुरुंग ने कहा कि मुख्यमंत्री लेपचा और गोरखाओं के बीच विभाजन पैदा करना चाहती हैं लेकिन गोजमो ऐसा नहीं होने देगा.

गुरुंग ने धमकी दी कि पृथक गोरखालैंड की मांग अब लोकतांत्रिक आंदोलन के बजाए उग्र आंदोलन के जरिए की जाएगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें यदि गोली का शिकार होना पड़ता है तो उसके लिए भी वह (विमल गुरुंग) तैयार हैं. उन्होंने कहा कि गोजमो जीटीए से संतुष्ट नहीं है. उन्होंने घोषणा की कि आगामी 10 मार्च को विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी. उधर तृमूकां का मानना है कि पृथक गोरखालैंड की मांग दोबारा उठने के पीछे पृथक तेलंगाना राज्य का मुद्दा है. उल्लेखनीय है कि पृथक तेलंगाना राज्य का मुद्दा सामने आते ही गोजमो ने पृथक गोरखालैंड की मांग को लेकर फिर से आंदोलन शुरू किया है और दिल्ली के जंतर-मंतर पर गोजमो के समर्थक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. दूसरी ओर माकपा विधायक व विधानसभा में विरोधी दल के नेता सूर्यकांत मिश्र ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि दार्जिलिंग में जो परिस्थिति तैयार हुई है वह चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जल्दबाजी में जीटीए का गठन किया. सर्वदलीय बैठक की मांग करते हुए विरोधी दल के नेता ने कहा कि इस समस्या को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए.

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