त्रिपुरा में वाम मोर्चा की 5वीं सत्ता जीत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

त्रिपुरा में वाम मोर्चा की 5वीं सत्ता जीत


पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा ने विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल करते हुए पांचवीं बार सत्ता में वापसी की है। वाम दलों ने कांग्रेस को काफी अंतर से शिकस्त दी है। निवार्चन अधिकारियों के मुताबिक, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व में वाम मोर्चा को 2008 विधानसभा चुनाव के मुकाबले अधिक मत प्राप्त हुए हैं। कांग्रेस और इसके सहयोगी इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) और नेशनलिस्ट कांफ्रेंस ऑफ त्रिपुरा को वर्ष 1993 से लगातार पांचवीं बार पराजय का सामना करना पड़ा।

60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा की 44 सीटों के परिणाम घोषित किए गए हैं जिनमें से अकेले माकपा ने 32 सीटें हासिल की हैं और नौ पर बढ़त बनाए हुए है। सत्तारूढ़ मोर्चा में शामिल रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने एक-एक सीट जीती है। सीपीआई को इस बार एक सीट का नुकसान हुआ है।

कांग्रेस 10 सीटें जीतने में कामयाब रही और एक स्थान पर बढ़त बनाए हुए है। आईएनपीटी भी एक सीट पर आगे चल रही है। वर्ष 1998 से ही राज्य में शासन चला रहे 64 वर्षीय मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने धानपुर सीट पर 5,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। यह उनकी छठी जीत है। राज्य के वित्तमंत्री बादल चौधरी ने 12,450 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की है।

वाणिज्य मंत्री जितेंद्र चौधरी, विद्यालय शिक्षा मंत्री तपन चक्रवर्ती, सूचना मंत्री अनिल सरकार, जनजातीय कल्याण मंत्री अघोरे देबबर्मा और मंत्रिमंडल में उनके अन्य सभी सहयोगियों ने भी बड़े अंतर से जीत हासिल की है। शिक्षक से राजनीतिज्ञ बने 75 वर्षीय अनिल सरकार कवि और लेखक भी हैं। वह माकपा के टिकट पर पश्चिमी त्रिपुरा के प्रतापगढ़ से फिर निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने नौंवीं बार चुनाव जीतकर रिकार्ड कायम किया है।

कांग्रेस के रतन लाल नाथ भी मोहनपुर से दूसरी बार और राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष सुदीप राय बर्मन ने अगरतला सीट पर चौथी बार जीत दर्ज की है। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र सरकार इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। उन्होंने जितेंद्र दास को 254 मतों से हराकर माकपा से बर्जाला सीट झटक ली है। माकपा के रतन दास ने 25 साल बाद रामनगर सीट पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने पूर्व राज्य कांग्रेस प्रमुख और पूर्व मंत्री सुरजीत दत्ता को महज 15 मतों से मात दी।

माकपा के प्रवक्ता गौतम दास ने कहा, "यह वाम मोर्चे के लिए बड़ी जीत है और इससे सरकार की लोकप्रियता और जनसमर्थन परिलक्षित होता है। इस जीत की सबसे बड़ी वजह सुशासन रहा है।" उन्होंने कहा, "हर क्षेत्र में विकास और शांति बहाल करने के लिए लोगों ने वाम मोर्चा को मत दिया।" पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता समीर रंजन बर्मा और आईएनपीटी के अध्यक्ष एवं पूर्व विद्रोही नेता बिजॉय कुमार हरंगखौल पीछे चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि त्रिपुरा में वाम मोर्चा 1978 से ही सत्ता पर काबिज है। यह मोर्चा सिर्फ एक बार (1988-93 के दौरान) सत्ता से दूर रहा था।

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