देहरादून, 28 फरवरी, डीएवी कालेज में एनएसएस के तत्वावधान में चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग के सहयोग से कन्या भ्रूण हत्या विषयक कार्यशाला में वक्ताओं ने कन्या भ्रूण हत्या के प्रति व्यापक स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाये जाने पर जोर दिया। डीएवी कालेज के पंडित दीनदयाल सभागार में आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि आज के परिवेश में पुत्र की चाहत में पुत्री की हत्या कर दी जाती है जिससे यह अनुपात कम होता जा रहा है और इसके लिए सभी को सजग होने की आवश्यकता है और सरकार को इस पर ठोस कार्यवाही करनी चाहिए और इसके लिए सख्त से सख्त नियम बनाये जाने की जरूरत है, वक्ताओं ने कहा कि मानव जीवन की शुरूआत मां के गर्भ से होती है और यदि उसे ही गर्भ में मार दिया जाये तो उसका जीवन दुश्वर हो जाता है।
वक्ताओं ने कहा कि इस कुप्रथा को समाप्त करने का आज सभी को संकल्प लेना होगा और नहीं तो पीढ़ी दर पीढ़ी यह कार्य बढ़ता जायेगा, इस जघन्य अपराध को रोकने के लिए स्वयं ही जागरूक होकर आगे आने की आवश्यकता है और इसके लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा। उनका कहना है कि गर्भावस्था पूर्व प्रसव पूर्व निदान तकनीक अध्निियम 1994 के प्रावधानों का पालन किये जाने की आवश्यकता है और कन्या भ्रूण हत्या से भविष्य में पड़ने वाले कुप्रभावों पर लगाम लगाने के लिए यह अधिनियम पारित किया गया और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 14 जनवरी 2003 को संशोधित अधिनियम गर्भावस्था पूर्व और प्रसव पूर्व वैधानिक जांच तकनीक लिंग चुनाव निषेध अधिनियम लागू किया गया।
उनका कहना है कि इस अधिनियम के अंतर्गत अजन्में शिशु क लिंग की जांच की अनुमति नहीं है और केवल चिकित्सकीय आधार पर असमान्यताओं, विकारों, खराबियों तथा जन्म जात विकृतियों आदि के लिए किया जा सकता है जिसमें भ्रूण के लिंग की जांच करना निषेध है। उनका कहना है कि राज्य में घटते हुए लिंगानुपात एक चिंतनीय विषय है और इस ओर विशेष रूप से ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है और इसके लिए जागरूकता अभियान चलाना नितांत आवश्यक है। उनका कहना है कि राज्य में लंबे समय से महिला की स्थिति, उच्च साक्षरता दर और विभिन्न आंदोलनों में महिला की केन्द्रीय भूमिका के चलते बेहतर मान लगी गई है परन्तु वर्ष 2001 की जनगणना के परिणामों में बहुतों को आश्चर्य और चिंता हुई और 0 से 6 वर्ष आयु वर्ग में बालिकाओं का गिरता अनुपात प्राकृतिक कारणों से नहीं वरन कन्या भू्रण हत्या की तरपफ इंगित करता है, यह स्थिति सोचनीय है और इसके लिए जागरूक होने की जरूरत है, यह तभी रूक सकता है जब कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगेगी। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक डा. राखी उपाध्याय, डा. विनित विश्नोई, डा. भावना बोरा, जेवीएस रौथाण, शशि भूषण उनियाल, मंजू, पूजा, मिनाक्षी आदि मौजूद थे।
(राजेन्द्र जोशी)
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