हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार को सरकार को योगगुरू बाबा रामदेव के पतजंलि योग पीठ को पट्टे पर दी गई जमीन पर यथा स्थिति बनाये रखने का निर्देश दिया. राज्य सरकार ने 22 फरवरी को इस जमीन को वापस ले लिया था. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने इसके साथ ही राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया है. अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि जमीन के पट्टे का ध्यान रखते हुये ‘यथास्थिति’ बनाये रखी जरये.
उल्लेखनीय है कि राज्य में विधान सभा चुनाव के बाद सत्तारूढ़ हुयी वीरभद्र सिंह सरकार के मंत्रिमंडल ने 19 फरवरी को सोलन जिले के साधूपुल में 98 एकड़ जमीन का पट्टा रद्द कर दिया था. इसके बाद राजस्व अधिकारियों ने जमीन, उस पर बनी इमारतों और अन्य आधारभूत ढांचों पर कब्जा कर लिया था.
पतजंलि योगपीठ ने मंत्रिमंडल के पट्टे को रद्द करने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी और सरकार के कब्जा की गई जमीन पर वापस अधिकार दिलाने का अनुरोध किया है. सरकार का कहना है कि वर्ष 2010 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने कानूनी प्रावधानों की अवहेलना करते हुये पंतजलि योगपीठ को जमीन दी थी. सरकार ने इस परियोजना के पहले चरण का बुधवार को उद्घाटन करने की योजना में अड़ंगा लगा दिया था.
सरकार के इस फैसले के खिलाफ पंतजलि योगपीठ ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि सरकार का फैसला गैरकानूनी और मनमाना है तथा इससे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है.
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