दि अटैक्स आफ 26/11: फिर जिंदा हुआ कसाब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 19 मार्च 2013

दि अटैक्स आफ 26/11: फिर जिंदा हुआ कसाब


- दि अटैक्स आफ 26/11 मूवी में जिस नाम की बेहद चर्चा हो रही है वह नाम संजीव जायसवाल है। जो कि अजमल कसाब की भूमिका में है और सिनेपटल पर तालियां नहीं बल्कि जूते और चप्पल बटोर अपनी किस्मत को संवार रहा है

यूं तो जमशेदपुर यानी जेएसआर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन इन दिनों एक शख्स पूरे शहर में चर्चा का विशय बना है। उद्योगनगरी स्थित जुगसलाई का रहने वाला संजीव जायसवाल अपने एक मित्र के साथ मायानगरी घूमने गया था। जहां सिनेमाई चकाचैंध ने इन युवाओं को बेहद आकर्शित किया और शहर घूमने के दरम्यान दोनों प्रसिद्ध फिल्म डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा का दफ्तर देखने पहुंच गया। जहां श्री वर्मा के कास्टिंग डायरेक्टर निमेश कुमार की नजर संजीव जायसवाल पर पड़ी और श्री कुमार ने उक्त युवक को आॅडिशन देने के लिए बुला लिया। आॅडिशन देने के सात दिनों बाद ही संजीव को शार्टलिस्ट कर बुलाया गया और 15 मार्च को संजीव के नाम पर मुहर लगा दी गई। फिर 16 मार्च 12 से रामगोपाल वर्मा की मूवी दि अटैक्स आॅफ 26/11 की शुटिंग शुरु हो गई। अब आप कहेंगे कि इसमें क्या खास है ? दरअसल इस मूवी में जिस नाम की बेहद चर्चा हो रही है वही नाम तो संजीव जायसवाल है। जो कि अजमल कसाब की भूमिका में है और सिनेपटल पर तालियां नहीं बल्कि जूते और चप्पल बटोर अपनी किस्मत को संवार रहा है। इस मूवी में कसाब की भूमिका संजीव ने इतनी संजीदगी के साथ निभाई कि कसाब के चरित्र को उसने जीवंत कर दिया। किसी भी कलाकार के लिए इससे ख़ुशी की बात और नहीं हो सकती कि दर्शक सिनेपटल के तीन घंटे तक सिर्फ और सिर्फ उक्त कलाकार के इर्द गिर्द ही अपना ध्यान केंद्रित कर ले। एक बार फिर एक छोटे से राज्य के होनहार ने सिनेपटल पर अपनी धमक दिखा दी है। 

जमशेदपुर स्थित मोतीलाल पब्लिक स्कूल से अपनी पढ़ाई करने के बाद साल 2003-04 में संजीव थियेटर की दुनिया से रुबरु हुआ और 2005 में स्नातक करने दिल्ली चला गया। जहां सुमन कुमार और एनके शर्मा ग्रुप के साथ रहकर संजीव ने अभिनय क्षमता का विकास किया। उसके बाद 2007 में आइडिया जी सिने स्टार में टाॅप-टेन में भी जगह बनाई और अंततः 2008 में मायानगरी की माया ने संजीव को अपनी ओर खींच ली। मायानगरी आने के बाद जिंदगी की जंग शुरु हो चुकी थी। काफी भटकने के बाद एक सीरियल में छोटा सा काम मिला। धीरे धीरे कारवां बढ़ता गया और अचानक वो दिन आ ही गया जिसका हर फिल्म दुनिया के प्रेमी को होता है। 16 मार्च 12 को रामगोपाल वर्मा की मूवी में काम करने का मौका तो जरुर मिला लेकिन नेगेटिव रोल होने के कारण मन में थोड़ी बहुत कसक तो थी लेकिन इतने बड़े फिल्म डायरेक्टर के साथ काम करने का मौका मिलना अपने आप में बड़ी उपलब्धि थी। लिहाजा, संजीव ने कसाब के चरित्र को ईमानदारी पूर्वक करने की ठानी। आज पूरा देश कसाब को एक बार फिर जीवंत होता देख रहा है। विशेष  बातचीत के क्रम में संजीव कहते हैं कि नेगेटिव किरदार होने के बावजूद उन्होंने पूरी ईमानदारी बरती है तभी तो दर्शक तालियां बजाने के बजाए थियेटर में उनकी अभिनय को देखकर गाली और जूते बरसा रहे हैं जो कि मेरे लिए किसी अवार्ड से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि आठ साल के इस पूरे सफर में उनके परिवार का जबरदस्त सपोर्ट मिला। 

जमशेदपुर के जुगसलाई निवासी घनश्याम जायसवाल और माता प्रभावती जायसवाल का पुत्र संजीव आज सिनेपटल पर छा चुका है। इस क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाने वालों को अपने सन्देश में संजीव ने कहा कि पहले अपनी शिक्षा पूरी कर लेनी चाहिए, और यदि मुमकिन हो तो बाकायदा टेªनिंग भी कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कसाब से मिलता जुलता चेहरा होने का फायदा मिला और आडिशन  के चौथे दिन मुझे देखते ही शार्टलिस्ट कर लिया गया था। इस बात का जिक्र खुद रामगोपाल वर्मा ने एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में कहा था कि संजीव जैसे ही कमरे में घुसा उसे देखकर वो स्तब्ध हो गए थे। उसके बाद आडिशन में उसके अभिनय ने भी उन्हें चकित कर दिया था। 01 मार्च को रिलीज हुई ये फिल्म 2008 में हुए मुंबई हमलों पर आधारित है। हालांकि फिल्म बाॅक्स आफिस पर कुछ खास करतब नहीं दिखा पाई लेकिन कसाब के रोल में संजीव को देखकर दर्शक हैरत में पड़ गए हैं। बताते चलें कि संजीव के परिवार वालों ने इस किरदार को लेकर थोड़ा एतराज जताया था लेकिन काफी समझाने के बाद परिवार वाले माने कि बतौर अभिनेता हर तरह के रोल करने पड़ते हैं और ये भी उनमें से एक है। कसाब के किरदार को निभाते वक्त अपने अनुभव के बारे में संजीव ने कहा कि दिन की शूटिंग खत्म करने के बाद सोचता था कि कसाब के दिमाग को किस तरह से ब्रेनवाश किया गया है उसे खुद नहीं पता था कि वो क्या कर रहा है। उस हिसाब से मैं खुद को उससे जोड़ भी नहीं पा रहा था कि मैं ऐसा कभी नहीं हो सकता हूं। संजीव कहते हैं कि जब मुझे पता चला कि मैं कसाब का रोल करुंगा तभी समझ गया था कि मैं क्या करने वाला हूं और कैसी प्रतिक्रिया मिलने वाली है। फिल्म को देखने के बाद लोग गालियां दे रहे हैं सिनेपटल पर जूते चप्पल फेंक रहे हैं तो वो किरदार के लिए, मेरे लिए नहीं। 25 वर्शीय संजीव का मानना है कि कसाब से लुक मिलना मेरी किस्तम थी लेकिन लोगों को विष्वास दिलाना कि जो स्क्रीन पर है वो असली है और फिर जूते चप्पल और गालियां खाना इसके लिए तो एक अच्छा एक्टर होना जरुरी है ना...। 



कुमार गौरव, 
जमशेदपुर 

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