प्रसिद्ध चित्रकार गणेश पाइन का कोलकता में हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया। वे 76 वर्ष के थे। इस महान चित्रकार ने सोमवार को सुबह में छाती में दर्द की शिकायत की थी। उन्हें एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां चिकित्सों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एक जनवरी 1937 को जन्मे पाइन आधुनिक भारतीय कला के पिता तुल्य अवनींद्रनाथ टैगोर से प्रभावित थे। उन पर फ्रांस हाल्स-रेमब्रांड्ट और पॉल क्ली का भी प्रभाव था।
पाइन ने कोलकाता के कला व शिल्प के सरकारी महाविद्यालय से 1959 में स्नातक की उपाधि ली थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों के लिए एक स्टूडियो में एनिमेशन फिल्म के लिए रेखाचित्र बनाया था। वे 1963 में समकालीन कलाकारों की संस्था में शामिल हुए। उन्होंने बंगाल स्कूल विधा के जल रंगसाज के रूप में अपने कला जीवन की शुरुआत की। उनके पहले चित्र 'विंटर मौरनिंग्स' की खूब ख्याति मिली।
नाव, दरवाजा व खिड़की, कोहरामय सुबह, चैतन्य महाप्रभु और जानवर उनके पसंदीदा विषय थे। उनकी रचना कल्पना और प्रतीकात्मकता के लिहाज से काफी समृद्ध है। उन्होंने कई प्रदर्शनियों जैसे 1969 में पेरिस बाइनाले और 1970 में जर्मनी में भारतीय समकालीन चित्रकारी मे हिस्सा लिया। इसके अलावा उन्होंने यूरोप, एशिया, और उत्तरी अमेरिका की प्र्दशनियों में भी भाग लिया था।
उन्हें अन्य पुरस्कारों के अलावा 1985 में शिरोमणि पुरस्कार और 1973 में बिड़ला अकादमी का कला व संस्कृति सम्मान से नवाजा गया था। कलाकार समीर अइच ने पाइन की मृत्यु पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि उनकी कृतियां हजारों साल प्रासंगिक रहेंगी।
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