बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में हुई अधिकार रैली से 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को साफ इशारा कर दिया है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में विशेष राज्य के दर्जे के मापदंड बदलने के संकेत देकर नीतीश को जो संकेत दिया था, नीतीश ने इशारों-इशारों में उसका जवाब दे दिया। उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देकर केंद्र सरकार को यह साबित करना होगा कि आवाज दिल से निकली है या नहीं। उन्होंने कहा, 'अभी नहीं तो 2014 में विशेष राज्य का दर्जा देना ही होगा। दिल्ली में वही बैठेगा, जो विशेष राज्य का दर्जा देगा। बिहारी बुद्धू नहीं हैं। दिल से आवाज निकली है या नहीं, वह यह समझता है।' जाहिर है नीतीश ने साफ संकेत दे दिया है कि विशेष राज्य का दर्जा देने पर वह यूपीए का साथ दे सकते हैं।
यह तो झांकी है, लड़ाई अभी बाकी हैः उन्होंने कहा कि उन्हें पहली बार केंद्र के एक शब्द से खुशी है। अब यह सरकार पर है कि वह इस पर कितना कायम रहती है। उन्होंने कहा कि विशेष राज्य की लड़ाई रोचक दौर में पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा,'दिल्ली में यह झांकी है, लोगों ने अंगडाई ली है। अभी तो पूरी लड़ाई बाकी है। '
केंद्र को बिहार के लिए विशेष क्यों नहीं सोचना चाहिए?: नीतीश ने कहा कि देश की राजधानी में पहली बार बिहारियों ने अपने हक को हासिल करने के लिए इस तरह की ताकत दिखाई है। उन्होंने बिहार के पिछड़ेपन के लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होने कहा, 'आखिर इतनी बड़ी संख्या में बिहार के लोग दिल्ली में रहने को क्यों मजबूर हुए? एक जमाने में सत्ता बिहार से चलती थी। आजादी के बाद बिहार पिछड़ता चला गया। बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। विकास के लिए प्रति व्यक्ति खर्च राष्ट्रीय औसत से आधा है। मानवीय विकास सूचकांक में भी बिहार पीछे है। ऐसी स्थिति में बिहार के लिए केंद्र को विशेष क्यों नहीं सोचना चाहिए? विकास हमारा भी अधिकार है। नीतियां ऐसी बनीं जिसने बिहार को पीछे धकेल दिया। उद्योग धंधे बंद हो गए।'
दूसरे राज्यों को भी दीजिएः नीतीश ने आगे कहा, ' ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देंगे तो दूसरे राज्यों को भी देना होगा। हम इसके विरोधी नहीं हैं। राष्ट्रीय औसत से जो भी राज्य नीचे है, उन्हें यह दर्जा मिलना चाहिए। हम बिहार की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं। सभी पिछड़े राज्यों की लड़ाई भी लड़ रहे हैं। इसका लाभ उनको भी होगा। फिर देश का समावेशी विकास होगा। बिहार की विकास दर अच्छी है। पीएम ने भी तारीफ की है। विशेष राज्य का दर्जा देने से विकास की दर बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग भीख नहीं, अपना अधिकार मांग रहे हैं। यह हमारा विकास का अधिकार है। क्या हम देश के अंग नहीं हैं?
नीतीश को दिखाए काले झंडेः दिल्ली के रामलीला मैदान में हो रही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अधिकार रैली में उस समय रंग में भंग पड़ गया, जब एक शख्स वहां काला झंडा लेकर पहुंच गया। जैसी ही रैली शुरू हुई, एक शख्स काले झंडे के साथ वहां पहुंच गया। उसने जेडी (यू) अध्यक्ष शरद यादव को काले झंडे दिखाए। इस दौरान मंच पर नीतीश कुमार भी मौजूद थे। इसके बाद जेडी (यू) वर्कर भड़क गए। जेडी (यू) के कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखा रहे शख्स को जमकर पीट दिया। पुलिस बीच-बचाव कर उसे बाहर ले गई। इस दौरान भी वे उसे पीटते रहे।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने अपने हजारों समर्थकों के साथ रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए रैली की। नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए करीब एक साल से कैंपेन चला रहे हैं। अधिकार रैली में हजारों की संख्या में जेडी (यू) समर्थक बिहार से आए। जेडी (यू) नेताओं ने मैदान में भीड़ जुटाने के लिए पूरा जोर लगाया था।
नीतीश कुमार ने शनिवार को दिल्ली पहुंचने के बाद कहा कि उनकी रैली बिहार को हक दिलाने के लिए है, न कि सत्ता हासिल करने के लिए। हमारी लड़ाई से अन्य गरीब राज्यों को भी फायदा होगा। कुमार ने कहा कि बिहार में तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन संसाधनों और पूंजी का पर्याप्त अभाव है। हम इस अभाव को फिलहाल बिना विशेष राज्य का दर्जा हासिल किए पूरा नहीं कर सकते।
केंद्र सरकार उन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देती है जिनके इलाके दुर्गम होते हैं। साथ ही प्रदेश का एक खास क्षेत्र इंटरनैशनल सीमा से लगा हो। वह क्षेत्र देश की सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होता है। ज्यादातर पहाड़ी राज्यों को विशेष राज्य दर्जा मिला है। फिलहाल भारत में 28 राज्यों में से 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला है। इसमें पूर्वोंत्तर के लगभग सभी राज्य हैं। केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाले पैकेज में 90 फीसदी रकम बतौर मदद मिलती है। इसमें 10 फीसदी रकम ही बतौर कर्ज होती है। केंद्र सरकार की तरफ से अन्य कई तरह की भी कई सुविधाएं मिलती हैं।
वैसे यह बात छिपी नहीं है कि मौजूदा शर्तों या मापदंडों के रहते बिहार या अन्य पिछड़े राज्यों को स्पेशल कैटिगरी में रखना संभव नहीं होगा। इसके लिए मापदंड बदलना भी आसान नहीं है, क्योंकि तब अनेक राज्यों से ऐसी मांगें होंगी। विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों में देश के पर्वतीय क्षेत्र वाले 11 राज्य शमिल हैं। इन राज्यों को उनके आर्थिक या औद्योगिक विकास के लिए कई टैक्सों में खास रियायतें मिलती हैं। केंद्र सरकार ने एक राजनीतिक रणनीति के तहत इस संदर्भ में 'शर्त संशोधन' जैसी संभावना भले ही उछाल दी हो, लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल लगता है।
.jpg)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें