भारत को पूर्ण लोकतंत्र मानने से इनकार करते हुए भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने यहां शनिवार को कहा कि 90 प्रतिशत लोग भेड़-बकरियों की तरह मतदान करते हैं। टीवी चैनल हेडलाइंस टुडे के साथ बातचीत में काटजू ने कहा, "नब्बे प्रतिशत भारतीय भेड़-बकरियों की तरह मतदान करते हैं। लोग जानवरों के झुंड की तरह बिना सोचे-समझे जाति व धर्म के आधार पर मतदान करते हैं।"
उन्होंने कहा, "भारतीय मतदाताओं के समर्थन के कारण ही कई अपराधी संसद में हैं।" सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि वह मतदान नहीं करेंगे क्योंकि देश को कुछ ऐसे नेता चला रहे हैं जो अपनी जाति के कारण चुने जाते हैं। यह लोकतंत्र का असली रूप नहीं है।
उन्होंने कहा, "मैं मतदान नहीं करता क्योंकि मेरा मत निर्थक है। मतदान जाट, मुस्लिम, यादव या अनुसूचित जाति के नाम पर होता है। लोकतंत्र इस तरह से चलने का नाम नहीं है। मैं क्यों जानवरों की कतार में खड़ा होकर अपना समय गंवाऊं?" अपने धर्मनिरपेक्ष विचारों पर अभिमान करते हुए काटजू ने कहा कि वह सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, "और धर्मनिरपेक्ष होने के कारण यदि मैं कांग्रेसी करार दिया जाता हूं तो आप को अपना नजरिया पालने की छूट है।"
हाल के दिनों में काटजू 1993 के मुंबई में श्रंखलाबद्ध विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट से सजा पाए अभिनेता संजय दत्त और जेबुन्निसा काजी के लिए माफी की मांग करने को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।
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