डीएमके के पाँचों मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. डीएमके ने यूपीए सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. सत्तारूढ यूपीए से अलग होने के एक दिन बाद डीएमके के पांच मंत्रियों ने बुधवार को सरकार से अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को सौंप दिया।
एस एस पलानिमनिकम, जी गांधीसेल्वन और एस जगतरक्षकन ने एक साथ इस्तीफा सौंपा जबकि केंद्रीय मंत्री अलागिरी और डी नेपोलियन ने बाद में अपना इस्तीफा सौंपा. गौरतलब है कि श्रीलंकाई तमिलों पर सरकार के 'नरम रूख' से नाराज द्रमुक ने मंगलवार को सत्तारूढ गठंबधन से खुद को अलग कर लिया था।
शुरुआत में इस्तीफा देने केवल तीन द्रमुक मंत्री पहुंचे. अलागिरी और नेपोलियन की गौरमौजूदगी पर द्रमुक नेता टी आर बालू ने कहा कि वे (अलागिरी और नेपोलियन) अपना इस्तीफा बाद में देंगे. डीएमके सरकार से श्रीलंका में तमिलों के सामूहिक नरसंहार के मामले में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अमेरिका के प्रस्ताव में संशोधन की मांग कर रही है।
वहीं मायावती ने भी मनमोहन सरकार को समर्थन जारी रखने की घोषणा कर राहत पहुंचाई है. मायावती ने कहा है कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार से कुछ मुद्दों पर उनकी सहमति नहीं है लेकिन उनकी पार्टी उसे समर्थन देना जारी रखेगी. उल्लेखनीय है कि डीएमके कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ है।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में 21 मार्च को श्रीलंका में कथित मानवाधिकार हनन के संबंध में अमेरिका समर्थित एक प्रस्ताव पेश होना है. डीएमके इसमें कुछ संशोधन जोड़ने की मांग कर रहा है.
डीएमके के संशोधन
1. श्रीलंकाई सेना और प्रशासकों ने ईलम तमिलों का नरसंहार और युद्ध अपराध किए.
2. तमिलों के नरसंहार, अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन, मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराधों के आरोपों की निश्चित समयसीमा के भीतर जांच के लिए विसनीय और स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय आयोग का गठन हो.
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