कश्मीर घाटी में लश्कर ए तय्यबा, जैश ए मुहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के लगभग 350 आतंकवादी मौजूद हैं. सूत्रों के अनुसार अनुमान है कि घाटी में लगभग 350 आतंकवादी होंगे.ये आतंकवादी लश्कर ए तय्यबा, जैश ए मुहम्मद, हूजी और हिजबुल मुजाहिदीन से संबंध रखते हैं. कुछ स्थानीय आतंकवादी भी हैं जो ‘ओवर ग्राउण्ड कार्यकर्ताओं’ के समर्थन से कार्य कर रहे हैं.
आतंकवादियों की सीमा पार से घुसपैठ को नियंत्रित करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया गया है. इसमें सीमा प्रबंधन, नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ के परिवर्तनशील मार्ग’ पर सुरक्षाबलों की बहुस्तरीय तैनाती, सीमा पर बाड लगाना, सुरक्षाबलों को अत्याधुनिक हथियार एवं उपकरण मुहैया कराना, बेहतर खुफिया सूचना आदि शामिल हैं. सूत्रों ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान से आये या वहां से सहायता प्राप्त आतंकवादियों की हिंसा और घुसपैठ के प्रयासों में कमी आयी है और कश्मीर घाटी में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी बढोतरी हुई है.
उन्होंने हालांकि कहा कि इसके बावजूद सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचा ज्यों का त्यों बना हुआ है. सीमा पार से अब भी घुसपैठ के प्रयास हो रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि 2011 के दौरान घुसपैठ में 2010 की तुलना में काफी कमी आयी थी. अनुमानों के अनुसार 2010 में घुसपैठ के 489 प्रयास हुए जो 2011 में 49 प्रतिशत कम हो गये यानी 247 प्रयास हुए. 2012 में हालांकि घुसपैठ में 6.88 प्रतिशत की आंशिक बढोतरी हुई यानी घुसपैठ के 264 प्रयास किये गये.
उन्होंने बताया कि जहां तक आतंकी हिंसा का सवाल है, 2010 में आतंकवादियों के साथ मुठभेड में 69 सुरक्षा जवान शहीद हुए जबकि 47 नागरिक मारे गये. इन मुठभेडों में 232 आतंकवादी मारे गये. 2011 में 33 सुरक्षा जवान शहीद हुए, 31 आम नागरिक मारे गये और सुरक्षाबलों ने 100 आतंकियों को मार गिराया. 2012 में 15 सुरक्षा जवान शहीद हुए और 15 नागरिक मारे गये जबकि सुरक्षाबलों ने 72 आतंकवादियों को मार गिराया
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