उम्मीद की जा रही है कि भारत अगले साल जनवरी तक अपना अब तक के सबसे भारी राकेट का प्रक्षेपण करेगा जिसके अगले संस्करण का उपयोग अंतरिक्ष मिशन पर मानव को भेजने में किया जा सकता है। भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण वाहन - मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) की मुख्य भूमिका चार से पांच टन के संचार उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करना होगी। इस तरह प्रत्येक प्रक्षेपण से ज्यादा से ज्यादा ट्रांस्पोंडर भेजे जा सकेंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसएफ) में एक सार्वजनिक व्याख्यान के बाद पत्रकारों से कहा कि हम जनवरी 2014 में जीएसएलवी-एमके 3 का एक प्रायोगिक प्रक्षेपण का लक्ष्य कर रहे हैं।
यह पहला मौका होगा जब इसरो के वैज्ञानिक किसी प्रक्षेपण यान का प्रायोगिक प्रक्षेपण करेंगे और यान 120 किलोमीटर की ऊंचाई पर जा कर समुद्र में गिर जाएगा। जीएसएलवी-एमके 3 के परियोजना निदेशक एस सोमनाथ ने कहा कि हम कंप्यूटर का इस्तेमाल कर प्रक्षेपण का सिमुलेशन कर रहे हैं। लेकिन कुछ परीक्षण जमीन पर नहीं किए जा सकते। हम राकेट का परीक्षण किफायती तरीके से करेंगे।

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