सुकर टुडू नामक आदिवासी की मौत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

सुकर टुडू नामक आदिवासी की मौत


एक ओर जमीन से बेदखली और दूसरी ओर टी.बी. रोग से परेशानी


बांका। इस जिले के चांदन प्रखंड में बड़फेरा तेतरिया ग्राम पंचायत है। इस पंचायत में काफी संख्या में आदिवासी संथाल रहते हैं। जो बगल के जंगलों पर निर्भर है। उसी जंगल से लकड़ी और पत्तों को बेचकर जीविकोपार्जन करते हैं। वहीं बीमार पड़ने पर जंगल से प्राप्त होने वाली जड़ी-बुट्टी का सेवन करते हैं और बीमारी से छुटकारा पाते हैं। परन्तु इस बार सुकर टुडू को जड़ी-बुट्टी और आधुनिक दवाओं ने धोका दे दिया। दोनों तरह की दवाई खाने के बाद भी टी.बी.रोग के काल के गाल में समा गया। उसके परिवार के लोग और रोगी एक ओर जमीन से बेदखली और दूसरी ओर टी.बी.रोग हो जाने से चिंता से मरे जा रहे थे। 
  
संथाल टोला से कुछ ही दूरी पर विशु टुडू नामक आदिवासी का घर है। इस घर में नौजवान सुकर टुडू को (28 वर्श) को जानलेवा यक्ष्मा बीमारी हो गयी है। टी0बी0रोग से बेहाल पुत्र खटिया पर लेटकर बीमारी के कारण बाप-बाप चिल्लाता रहता है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण नौजवान को किसी चिकित्सक से जांच करवाने के उपरांत यक्ष्मा बीमारी का इलाज चालू नहीं किया जा सका है। एक व्यक्ति ने निकटवर्ती बेहारो पहाड़ के जंगल से जड़ी-बुट्टी लाकर दवा बनाकर उसे सेवन करावा रहा है। जबकि उसके घर के ही सामने आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। मगर आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका को फुर्सत नहीं कि वह अपने कार्य क्षेत्र में जाकर अभ्यागमन कर सके। सेविका के द्वारा ऐसा नहीं करने से आप परिणाम से अवगत हो रहे हैं।

वहीं नौजवान के पिता विशु टुडू अपनी हड़पी जमीन को छुड़वाने के चक्कर में बड़ा बाबू से लेकर बड़ा मालिक के द्वार पर जाकर दस्तक देते-देते थकहार गया है। उसी तरह सुकर टुडू के  माता बड़की मरांडी दो जून की रोटी के जुगाड़ करने में लगी रहती हैं। वीरांगना की तरह बड़की मरांडी प्रत्येक दिन सुबह में उठकर बेहारो पहाड़ के सीने पर चढ़कर पत्तल प्लेट बनाने के लिए पत्ता तोड़ने की धुन में लग जाती हैं। 
  
विशु टुडू नामक आदिवासी ने निर्धनतम क्षेत्र नागरिक समाज के सहयोग प्राप्त कर प्रगति गा्रमीण विकास समिति के सदस्यों को जमीन का दस्तावेज दिखाया। उसने जिला पदाधिकारी, बांका के नाम से आवेदन पत्र प्रेषित कर रखा है। लिखा है कि आवेदक एक गरीब भूमिहीन आदिवासी है। इन्हें सरकार की ओर से दो एकड़ जमीन बन्दोबस्त मौजा- टोनापाथर,टोला-डुमरिया के खाता नं0 123, खेसरा नं0 2237,रकवा दो एकड़ जमीन दी गयी, जिसका परवाना आवेदक के नाम से श्रीमान् अनुमंडल पदाधिकारी,बांका,श्रीमान् भूमि सुधार उप समाहर्ता,बांका एवं श्रीमान् अंचल अधिकारी,चांदन का संयुक्त हस्ताक्षर से निर्गत किया गया। परवाना निर्गत करने के बाद आवेदक ने प्रश्नगत जमीन का कबुनियत सरकार के पक्ष में किया तथा आवेदक के नाम से प्रश्नगत जमीन का जमाबंदी कायम हुआ। जिसका जमाबंदी नं0 89 है। आवेदक प्रश्नगत जमीन पर दखलकार भी हुए परन्तु भुवनेष्वर यादव पे0 धनराज यादव सा0 अमतुआ, थाना-कटोरिया, जिला-बांका तथा हुरो यादव पे0 भोचन यादव सा0अमतुआ, टोला- रानीधरना, थाना- कटोरिया, जिला- बांका वाले जबर्दस्ती हमलोगों को बेदखल कर दिया है तथा हल,बैल खोलकर भगा दिया। आवेदक गरीब संथाल होने के वजह हमलोगों का विरोध भी कर पाते हैं। आवेदक को दखल पूर्व में श्रीमान् अंचल अधिकारी,चांदन एवं अमीन द्वारा दिया गया था। परन्तु उनलोगों के आदेष की भी परवाह नहीं किये। वे लोग आवेदक को प्रश्नगत जमीन पर बेदखल कर दिये है। उसके हाल को जानकर पूर्णतः हलकान और परेशान है। अंत में आग्रह किया गया है कि उक्त जमीन को पुनः दखल दिलवाने की कृपा की जाए ताकि आवेदक को न्याय मिल सके। 
  
विशु टुडू ने आगे कहा कि मेरे पिता सोमरा टुडू पे0 होपना टुडू को भूमिहीन होने के कारण जमीन मिली थी। इसके अलावे कोई जमीन नहीं है। इस जमीन की मिट्ठी काटकर खेत बनाया गया है। कुछ में बारी बनाया गया है। गत 25 वर्षों से उक्त जमीन का रसीद कटवाया जा रहा है। अब तो यह हाल है कि घर बनाने जाते समय भुवनेश्वर यादव गाली देने लगता है। भुवनेश्वर यादव कहते हैं कि इस जमीन का रसीद कटवाते हैं। अगर इस जमीन पर कदम रखा तो मार के फेंक देंगे। 



---अलोक कुमार---
पटना 



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