मोदीमय हुआ बिहार, समर्थक के आक्रामक तेवर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 1 अप्रैल 2013

मोदीमय हुआ बिहार, समर्थक के आक्रामक तेवर


भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दिल्ली दरबार 'मोदीमय' होने के बाद बिहार में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पक्ष में आक्रामक तेवर अपनाने वाले पार्टी के नेताओं को बल मिला है। पार्टी के कई अन्य नेता भी मोदी के नाम पर और आक्रमक हो गए हैं। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस दिन भाजपा मोदी को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में घोषित करेगी, उसी दिन जनता दल (युनाइटेड) उससे अलग हो जाएगी।  मोदी को हाल ही में भाजपा के केंद्रीय संसदीय बोर्ड में जगह मिली है। वह भाजपा के एकमात्र मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें बोर्ड में जगह मिली है। उन्हें लेकर बिहार की राजनीति पिछले कई वर्षो से गर्म रही है। भाजपा की राष्ट्रीय समिति में बिहार से 20 नेताओं को जगह मिली है। इनमें से अधिकतर मोदी गुट के प्रशंसक बताए जा रहे हैं।

बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही जद (यु) पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी पसंद कोई धर्मनिरपेक्ष छवि का व्यक्ति ही होगा। मोदी को संसदीय बोर्ड में शामिल किए जाने पर जद (यु) की बिहार प्रदेश इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि यह पार्टी का आंतरिक मामला है। जद (यु) प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अपना रुख पहले ही साफ कर चुकी है और जब इस बारे में बात सामने आएगी तब देखा जाएगा।

वहीं, राज्य के वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार सिंह का कहना है कि मोदी को संसदीय बोर्ड में लाकर भाजपा ने आक्रामक तेवर अपनाया है। राज्य में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सी़ पी़ ठाकुर, मंत्री गिरिराज सिंह, मंत्री अश्विनी चौबे और रामेश्वर चौरसिया सरीखे नेता पहले से ही मोदी के पक्ष में आक्रामक तेवर अपनाए हुए थे। पार्टी के संसदीय बोर्ड में मोदी का नाम शामिल किए जाने के बाद न केवल उनकी बातों को बल मिला है, बल्कि जद (यु) को एक संदेश भी दिया गया है।

इस बीच, भाजपा की प्रदेश समिति के पूर्व अध्यक्ष सी़ पी़ ठाकुर ने कहा कि मोदी देश की आवाज बन चुके हैं। प्रधानमंत्री पद के बेहतर उम्मीदवार के रूप में मोदी के नाम पर लोगों के बीच आम राय बन चुकी है। इसे लेकर यदि घटक दलों को कोई आपत्ति है तो समय आने पर घटक दलों के नेताओं से भी राय ली जाएगी।

राजनीतिक जानकार सुरेंद्र किशोर का कहना है कि मोदी को संसदीय बोर्ड में शामिल कर भाजपा अपने घटक दलों को 'स्पष्ट संदेश' दे चुकी है। पार्टी का यह फैसला मोदी को लेकर उसके आक्रामक तेवर को भी दर्शाता है, लेकिन यदि पार्टी उन्हें अपने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करती है तो जद (यु) से उसका साथ छूट जाएगा। जद (यु) मोदी के नाम पर किसी हाल में तैयार नहीं होगी। ऐसे में जद (यु) के बगैर भाजपा का फिर केंद्र की सत्ता में आना टेढ़ी खीर साबित होगी।

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