नरकटियागंज (बिहार) की खबर (27 मई) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 27 मई 2013

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (27 मई)

दृढनिश्चय ने अपराजिता को बनाया अपराजेय, सीबीएसई टाॅपर अपराजिता   

नरकटियागंज...................कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उच्छालों यारों.......इस लोकोक्ति को चरितार्थ किया है सीबीएसई प्लस टू की वार्षिक परीक्षा में अपराजिता कुमारी ने। पिता प्रभू प्रसाद वर्णवाल की मृत्यु के बाद से अपराजिता को उसके दो भाइयों आविष्कार व अनुज का प्यार तथा माता अंजनी देवी का कुशल लाड़ व दुलार मिला। उसके बाद उसके शिक्षक नवीन कुमार श्रीवास्तव का मार्गदर्शन मिला। अपराजिता ने जवाहर नवोदय वृंदावन की प्रतियोगिता परीक्षा पास कर नामांकन कराया फिर क्या, उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आविष्कार और अनुज दोनो के संरक्षण माता के प्यार की छंाव में अपराजिता ने भारतीय प्रशासनिक सेवा को अपना लक्ष्य बनाकर पढाई प्रारंभ किया। जिसका नतीजा सीबीएसई 2013 की प्लस टू के परिणाम के रूप में सामने आया। उसने अपने विद्यालय ही नहीं जिला में अव्वल स्थान हासिल किया । नरकटियागंज नया टोला प्रकाश नगर के नाम के साथ शहर और जिला का नाम रौशन किया है। अपराजिता ने बताया कि उसका लक्ष्य आइएएस अधिकारी बनना है। उसने जिला के एक छोटे कस्बे में रहकर मार्ग दर्शक नवीन कुमार और माता तथा भाइयों के आशीर्वाद के साथ अपने दृढ निश्चय के साथ 90.60 प्रतिशत अंक हासिल किया है। नगर सभापति सुनिल कुमार ने तथा एसडीओ विजय कुमार पाण्डेय ने अपराजिता के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए बधाई दिया है।

बिना पुंजी, सोकड़ लाभ, सवास्थ्य विभाग में लूट की खुली छूट 

नरकटियागंज अनुमण्डल के पश्चिम  रामनगर क्षेत्र जो ढाई लाख से अधिक की जनसंख्या को पार करने वाला प्रखण्ड जिस में तीन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ग्रामिण क्षेत्रों में जोगिया, बखरी और सेरहवा दोन में अवस्थित छव बेडेड अस्पताल सभी उपस्करो से लैस एम्बुलेंस सुविधा के साथ रात दिन मरीजों की बाट जोह, ग्रामिणो की माने तो टीका केन्द्र बनकर रह गया है। जोगिया अतिरिक्त प्रा0 स्वास्थ्य केन्द्र, जिसकी स्थापना के लगभग 25 वर्ष हुए, पहले वहाँ स्वास्थ्य उप केन्द्र हुआ करता था। उसकी स्थिति आज के हालात से बेहतर थे। ग्रामीण फुलेना साह, शमसूल, इसलाम आदि का मानना है, कि पहले उपकेन्द्र पर प्रशिक्षित दाई सुरक्षित प्रसव कराती थी। उस समय आम जन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध थी, आज उस उपकेन्द्र का मोडिफिकेशन हुआ, अस्पताल की रुप रेखा दी गई, उसे उपस्करो से लैश किया गया। आवागमन की असुविधा को दूर करने के लिए सरकार एम्बुलेंस की व्यवस्था उपलब्ध कराई परन्तु ये सारे सुविधा अस्पताल के कमरे में कैद, है। जानकारी के अभाव में सरकार द्वारा दिया अंग्रेजी, आयुर्वेदिक, होमियो पैथ और यूनानी पद्धति की चिकित्सा सुविधाएं, केवल कागज के पन्नों तक सीमट कर रह गयी है। जोगिया अतिक्ति प्रा0 स्वास्थ्य केन्द्र में आयुर्वेदिक चिकित्सक विगत 25 वर्षो से वही पदस्थापित है, जो अपनी सिल्वर जूबली मना रहा है। वही हालत बखरी अतिरिक्त प्रा0 स्वा0 केन्द्र का है, जो सिर्फ नाम का है। जहाँ बिना एस0 वी0 ए0 ट्रेन्ड एक एन0 एम0 के भरोसे आदिवासिया,े अति पिछडों और थारुओं का जीवन निर्भर है। चिकित्सक होमियों पैथिक है, जो काफी व्यस्त रहते है, शिक्षा माफियों का मकड जाल में घिरे ह, अस्पताल तो उनका साइड विजनेस है। ग्रामीण शिवकुमार साह, किशोर महतो, रमेश साह, और कमलकान्त कुषवाहा, आदि का मानना है कि सेरहवा दोन  स्वास्थ्य केन्द्र जो विगत माह मुख्यमंत्री के यात्रा को लेकर आनन फानन में तैयार किया गया, यात्रा के समापन के उपरान्त माखौल बनकर रह गया है।वह अस्पताल एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के भरोसंे है। ए0 एन0 एम0 केवल टीकाकरण के दिन रामनगर से आती है। वह भी मोबाईल टीकाकरण टीम के साथ सरकारी गाडी से इस सारी परिस्थितयों से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी रामनगर भली भाँति अवगत है, परन्तु मजबूर है, क्योकि भोलटेज का सवाल है। उपर्युक्त बाते दिलीप काजी, प्रताप चन्द काजी, शितल महतो, रामधनी उरांव, बताते हुए कहते हैं कि अतिरिक्त  प्रा0 स्वास्थ्य केन्द्रो से जूडें 20 बीस उपकेन्द्रों की स्थिति से लोग तंग हो चुके हैं। ग्रामीण काशीनाथ, प्रभू यादव,, भागीरथ प्रसाद,, श्यमा राउत, कपीलदेव, ब्रह्मदेव, जावेद अहमद, भोला जी, कबीर अहमद रहमतुल्लाह परशुराम, कलाम, किसुन देव तारीक अख्तर, नसीर आलम, शिवशंकर, हरिकिशोर आदि सैकडों का कहना है कि सरकार इस स्वास्थ्य उपकेन्द्रो का नया नामकरण करते हुए, टीकाकरण केन्द्र रख दे तो बेहतर होगा । क्योकि इस सुशासन की सरकार से पूर्व इन उपकेन्द्रों पर स्टाफ महिना में एक बार जरुर आते थे और कम से कम आमजन को प्राथमिक उपचार तो निश्चित मिलता था। आज केवल सारी चिकित्सा सुविधा अखवार और प्रचार प्रसार के अंग बनकर रह गये है। उपर्युक्त लोगो का यह भी मानना है कि सरकार द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी को इतनी सारी राशि विभिन्न कोष के माध्यम से दी जा रही है कि उसे फुसर्त कहाँ है कि वह आम जन के स्वास्थ्य लाभ के बारे में सोचे। जैसे पोलियों, फलेरिया, कुष्ट, स्वास्थ्य चेतना यात्रा, मिजिलिस, विटामीन ए, नियमित टिकारण, सफाई, मरीजों को भोजन, बिजली, हवा, पानी, फर्निचर, उपस्कर खरीदारी इत्यादी। इ सब सोकड़ मुनाफा बिना लागत के, तनिएक भेजा से काम करे के बा, वो तरह के प्रभारी के स्टाफ भी मिल जाए, त  खाली रात दिन कागज मेन टेन करे में लागन र ह ता ई सारा लाभे ह ई सब एन आर एच एम से जूडल कहानी बा पहिले ( एपिडेमिक) यानी हैजा में दवा पानी के कौनो हिसाब किताब न होखे ओहि तरे ई एन0 आर0 एच0 एम0 के हिसाब बा ऐकरो कौनो न माई बा ना बाप बा ना ही कौनों औडिट बा जे जाँच आई ओहो खूबे खाई ई हे साँच बा ।




(अवधेश कुमार शर्मा)

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