टाइटलर ने उच्च न्यायालय में अर्जी दी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 31 मई 2013

टाइटलर ने उच्च न्यायालय में अर्जी दी.

कांग्रेस के नेता जगदीश टाइटलर ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अर्जी दायर कर निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है। निचली अदालत ने उनके खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे से सम्बंधित एक मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया है।

निचली अदालत ने 10 अप्रैल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की मामला बंद करने सम्बंधी रिपोर्ट को खारिज करते हुए टाइटलर के खिलाफ मामले की दोबारा सुनवाई करने का आदेश दिया। सीबीआई ने टाइटलर को क्लीन चिट देते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

उच्च न्यायालय में दायर अपील में टाइटलर ने कहा है, "सुनवाई करने वाली अदालत का आदेश अपराध प्रक्रिया संहिता के विपरीत है। एक जांच एजेंसी द्वारा जांच के लिए अपनाई जाने वाली पद्धति और प्रणाली उस जांच एजेंसी का एकछत्र विशेषाधिकार होता है। अदालत जांच एजेंसी को यह निर्देश नहीं दे सकती कि उसे किस गवाह की गवाही दर्ज करनी है।"

29 वर्ष पुराने मामले से सम्बंधित मामले में निचली अदालत के आदेश को खारिज करने की मांग करते हुए टाइटलर ने अपनी अर्जी में दलील दी है, "कानून की स्थापित स्थिति यह है कि जांच का निर्देश केवल तभी दिया जा सकता है जब प्रथम दृष्टया कोई अपराध किया गया पाया जाए या एक व्यक्ति की संलिप्तता प्रथम दृष्टया स्थापित होता हो। लेकिन किसी व्यक्ति ने अपराध किया है या नहीं इसकी जांच का निर्देश कानूनी तौर पर नहीं दिया जा सकता।" टाइटलर की अपील पर शुक्रवार को सुनवाई संभव है।

कोई टिप्पणी नहीं: