आतंकवाद विरोधी मोर्चा के चेयरमैन मनिंदर सिंह बिट्टा ने बुधवार को कहा कि नक्सलियों को सबक सिखाने का समय आ गया है। सरकार को चाहिए कि नक्सलियों को गोली का जवाब गोली से दे। इसके लिए आवश्यक है कि राजनीति से ऊपर उठकर सब एकजुट होकर काम करें। मनिंदर सिंह बिट्टा ने यहां प्रेस क्लब में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि नक्सलियों ने राज्य को धर्मशाला समझ लिया है। जब चाहे तब हमारे जवानों और नेताओं का खून बहाते रहते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार सीआरपीएफ और बीएसएफ या एसपीजी का प्रयोग करें।
पंजाब का उदाहरण देते हुए उन्होंने का कहा कि पंजाब में भी इसी तरह के हालात पैदा हुए थे परंतु उस समय सभी ने राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट होकर काम किया था। उन्होंने सवाल किया कि जब हम कश्मीर में फौज, सीआरपीएफ और एसपीजी का इस्तेमाल कर सकते हैं तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि यदि नक्सलियों का सफाया करना है तो सेना का इस्तेमाल जरूरी है।
उन्होंने कहा कि खुफिया तंत्र की विफलता के कारण इतनी बड़ी घटना हुई है। हमारे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और जांबाज योद्धा महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल आदि मारे गए। इस घटना के जिम्मेदार लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर नक्सलियों को कैसे मालूम हुआ कि काफिले में नंदकुमार पटेल के साथ उनका बेटा भी है? इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं साजिश और चूक हुई है।
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश को आड़े हाथों लेते हुए बिट्टा ने कहा कि नक्सली हमारे साथियों का खून बहाते रहे और हम उनसे बातचीत करते रहें, यह कहां का न्याय है। जरूरत मुकाबला करने की है। बिट्टा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में दो साल तक चुनाव रोक कर पहले नक्सली समस्या का समाधान किया जाना चाहिए। बिट्टा ने आदिवासियों के विकास पर भी जोर देने का आह्वान किया।

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