दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इंडियन प्रीमियर लीग(आईपीएल) सहित भारतीय किक्रेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और उसकी गतिविधियों को अपने नियंत्रण में लेने का खेल मंत्रालय को निर्देश देने की मांग को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खेल मंत्रालय, बीसीसीआई और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार के साथ बीसीसीआई को अपना जवाब चार सप्ताह के भीतर दायर करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी।
याचिकाकर्ता 'एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमनटेरियन अफेयर्स' नामक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने अपनी जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा है कि खेल मंत्रालय द्वारा बीसीसीआई को एक राष्ट्रीय खेल संघ घोषित कर आईपीएल सहित क्रिकेट से जुड़ी उसकी सभी गतिविधियों को नियंत्रण में ले लेना चाहिए। याचिका में कहा गया कि आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के मामले ने बीसीसीआई प्रबंधन की साख को पूरी तरह चौपट कर दिया है।
याचिका में सख्त नियम एवं उपनियम बनाने पर सुझाव देने के लिए एक न्यायिक समिति गठित करने की भी बात कही गई है। याचिका में कहा गया है, "मालूम होता है कि आईपीएल का प्रारूप माफियाओं को हवाला मार्ग का इस्तेमाल कर तुरंत बड़ी रकम हासिल करने के लिए तैयार किया गया है।"
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय ने विगत में आईपीएल पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने 16 मई को आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के सिलसिले में मुंबई से तीन क्रिकेट खिलाड़ियों को गिरफ्तार किया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें