दूरसंचार फर्मों को कैग ने जिम्मेदार ठहराया. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


बुधवार, 29 मई 2013

दूरसंचार फर्मों को कैग ने जिम्मेदार ठहराया.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने हाल ही में हुई स्पेक्ट्रम की नीलामी विफल रहने के लिए दूरसंचार कंपनियों की गुटबाजी को जिम्मेदार ठहराया और एयरटेल, वोडाफोन, आरकाम, आइडिया और टाटा टेली की ओर अंगुली उठाई है।

सूत्रों ने कहा कि कैग ने इस संबंध में दूरसंचार मंत्रालय को सूचित करते हुए एक रिपोर्ट के मसौदे पर उसकी राय मांगी है। कैग ने कहा कि ऐसा लगता है कि ट्राई के क्यूओएस   मानकों को पूरा करने के लिए लगातार स्पेक्ट्रम की मांग करती रहीं कई दूरसंचार कंपनियों ने एक गुट बनाकर 2012-13 में हुई नीलामी में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय किया।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले कैग ने गणना की थी कि 2008 में बिना नीलामी किए कंपनियों को स्पेक्ट्रम आबंटन से सरकार को अनुमानित 1,76,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वर्ष 2012 में स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने के संबंध में उद्योग की ओर से सुस्त प्रतिक्रिया दिखाई गई।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किए गए 122 लाइसेंसों से मुक्त हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी 2012 में की गई थी। इससे सरकार को करीब 9,407 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि उम्मीद 28,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने की थी।
कैग ने कहा कि यदि ट्राई द्वारा निर्धारित क्यूओएस को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवश्यक था तो पिछली दो नीलामी में ऑपरेटरों द्वारा हिस्सा नहीं लेने से प्रतीत होता है कि कि वे अपने पूर्व रुख से पलट गए। इस संबंध में दूरसंचार कंपनियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

कोई टिप्पणी नहीं: