भारत और जापान ने द्विपक्षीय परमाणु समझौते को और तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत पर सहमति जताई है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के बाद जारी की गई जॉइंट प्रेस रिलीज में इस बात की जानकारी दी। अबे ने कहा, दोनों देश असैन्य परमाणु समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए आपसी बातचीत और तेज करेंगे।
गौरतलब है कि जापान में 2011 के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र हादसे के बाद इस समझौते संबंधी बातचीत में काफी प्रगति नहीं हो पाई है। भारत-अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते के अलावा जापान भारत को अंतरराष्ट्रीय टेक्नॉलजी की दिशा में मिली छूट को अपना समर्थन दे चुका है। लेकिन जापान की हालिया राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर इस बारे में थोड़ी दिक्कत आती रही है। जापान में परमाणु अप्रसार से जुड़ी लॉबी काफी मजबूत है और भारत को लेकर विपक्ष का समर्थन हासिल करने के लिए सरकार को कई मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं।
जापान चाहता है कि भारत नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी (एनपीटी) और कंप्रीहेंसिव टेस्ट बैन ट्रीटी (सीटीबीटी) पर साइन करे। हालांकि, भारत इन दोनों चीजों को भेदभाव वाला कदम करार देता रहा है। जापान के इस कदम के मद्देनजर मनमोहन सिंह ने दुहराया कि भारत परमाणु टेस्ट की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी जापान के दौरे से पहले कहा था कि वहां कई दिक्कतें हैं और मैं इसे स्वीकार करता हूं। लेकिन मुझे उम्मीद है कि असैन्य परमाणु करार की दिशा में प्रगति हो सकती है। सुरक्षा और डिफेंस से जुड़े मामले पर अबे ने कहा कि भारत और जापान ने समुद्री सुरक्षा में सहयोग के मामले पर सहमति जताई है।
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