भाजपा के राज्यसभा सदस्य तरुण विजय से पार्टी के बौद्धिक शोध संस्थान डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन का काम वापस ले लिया गया है. तरुण विजय को लेकर भाजपा में सवाल उठ रहे थे. अब फाउंडेशन का काम राज्यसभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली को सौंपा गया है. तरुण विजय को संघ के मुख्यपत्र पांचजन्य के संपादक से हटाए जाने के बाद लालकृष्ण आडवाणी भाजपा में ले आए थे. उन्हें डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन का निदेशक बना दिया था. संघ ने उस समय इसे उचित नहीं माना था.
तरुण को पांचजन्य से इसलिए हटना पड़ा क्योंकि उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की 15 पेज की रिपोर्ट संघ को सौंपी गई थी. उन्हें मोटी तनख्वाह पर शोध संस्थान में 2008 में निदेशक पद पर रखा गया था. तरुण विजय को उसी समय भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर भी रखा गया. भाजपा ने तरुण विजय को राज्यसभा में भेजा गया तब भी सवाल उठे कि लाभ के दो पद कैसे हो सकते हैं.
पिछले साल से शोध संस्थान में भी उनके कामकाज पर सवाल उठ रहे थे और जब भोपाल में मारी गई शहला मसूद को लेकर उनका नाम सीबीआई के पास तक पहुंचा तो भाजपा में फिर तरुण विजय को हटाए जाने की मुहिम चली. हाल में संघ की ओर से भाजपा का कामकाज देखने वाले सुरेश सोनी की देख रेख में शोध संस्थान की बैठक हुई जिसमें तरुण विजय को हटाने का फैसला लिया गया और उनकी जगह शोध संस्थान का अध्यक्ष अरुण जेटली को बनाया गया.
शोध संस्थान को नया लुक देने के लिए अरुण जेटली को लाया गया है. इस संस्थान में शोध के अलावा बौद्धिक गतिविधियां और सेमिनार होते रहते हैं. शोध संस्थान में चार्टर एकाउंटेट अरुण सिंह को सचिव और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्याम जाजू को कोषाध्यक्ष बनाया गया है. तरुण विजय के विरोध को देखते हुए भाजपा के प्रवक्ताओं की बनी नई टीम में भी इस बार उन्हें नहीं रखा गया. भाजपा के थिक टैंक को नया लुक देने की कोशिश में जहां इसमें अरुण जेटली को रखा है वहीं भाजपा के संगठन महासचिव रामलाल, राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और विनय सहस्त्रबुधे सदस्य के तौर पर रखे गए हैं.
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