केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अधिक स्वायत्त बनाने के सम्बंध में केंद्र सरकार अपना प्रस्ताव सर्वोच्च न्यायालय में तीन जुलाई तक दाखिल करेगी। चिदम्बरम ने इस मामले में केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णयों से संवाददाताओं को अवगत कराते हुए कहा, "केंद्र सरकार सीबीआई को अधिक स्वायत्त बनाने से सम्बंधित मंत्री समूह के प्रस्तावों को सर्वोच्च न्यायालय में तीन जुलाई को दाखिल करेगी। इन प्रस्तावों को गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। केंद्रीय विधि मंत्रालय को भी इसकी जांच करनी है।"
मंत्री समूह (जीओएम) के अध्यक्ष चिदम्बरम ने प्रस्तावों की विस्तृत जानकारी देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया जाना है। उन्होंने कहा, "हम चार जुलाई के बाद ही आपसे बात कर सकते हैं।" सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावों में जांच एजेंसी को वित्तीय रूप से अधिक स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव शामिल है, ताकि इसे जांच में अधिक स्वतंत्रता हो। सूत्रों के अनुसार, जीओएम ने सीबीआई जांच की निगरानी करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्णय भी लिया है। लेकिन इस सुझाव को लेकर चिंताएं हैं, क्योंकि सीबीआई केवल अदालतों को ही अपनी जांच के बारे में विस्तृत जानकारी दे सकती है।
इस बारे में चिदम्बरम ने कहा, "जो भी प्रस्तावित किया गया है, उसमें मौजूदा कानूनी प्रावधानों के उलट कुछ नहीं है।" सूत्रों के अनुसार, जीओएम की सुझाव दिया है कि निगरानी के लिए सीबीआई की जांच शाखा एवं अभियोजन शाखा को अलग करना उचित नहीं होगा। जीओएम ने यह भी सुझाव दिया है कि सीबीआई प्रमुख का कार्यकाल दो साल से कम नहीं होना चाहिए।
इस मुद्दे पर जीओएम का गठन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कोयला ब्लॉक आवंटन में घोटाले की सुनवाई के दौरान सीबीआई को 'पिंजड़े में बंद तोता' बताने और केंद्र सरकार से जांच एजेंसी को स्वायत्त बनाने का सुझाव मांगने के बाद किया गया। न्यायालय ने केंद्र सरकार से 10 जुलाई तक जवाब मांगा था।

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