भारत नेपाल खुली सीमा: तस्कर कूट रहे चांदी ! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


बुधवार, 26 जून 2013

भारत नेपाल खुली सीमा: तस्कर कूट रहे चांदी !


  • - नोट के प्यासे एजेंट को दोनों तरफ की भौगोलिक परिस्थितियों व भाशाई ज्ञान होता है। लिहाजा, तस्करी आसान हो जाती है। तस्करों का साम्राज्य साम दाम दंड भेद की नीति पर संचालित होती है और एसएसबी की सख्ती के बावजूद नई राहें तलाषते हैं और तस्करी को अंजाम देते हैं
  • - भीमनगर चेकपोस्ट के इर्द-गिर्द कुकुरमुत्ते की तरह उग आई दुकानें तस्करी के लिए स्टाॅक प्वाइंट का काम करती है, फल फूल रहा है कारोबार


कुमार गौरव, सुपौल: इंडो-नेपाल बार्डर पर 10 साल पहले जब एसएसबी व कस्टम की जब तैनाती हुई थी तो ऐसा लग रहा था कि अब तस्करी बीते दिनों की बात होगी, लेकिन खुली सीमा के आर पार आज भी तस्करों की गतिविधि बदस्तूर जारी है। एक ओर जहां एसएसबी तैनाती के बाद कुछ दिनों तक तस्करी पर अंकुष लगा रहा वहीं दूसरी ओर तस्करों ने जुगाड़ तंत्र का सहारा लेते हुए पगडंडियों, महिलाओं, साइकिल व ठेले के जरिए तस्करी को अंजाम देने में जुट गए। नतीजतन इंडो-नेपाल बार्डर से मसाला, नषीले पदार्थ, हथियार, खाद यूरिया, इलेक्टिानिक गुड्स, तेल, कपड़े समेत कई अन्य प्रतिबंधित सामानों की तस्करी का खेल जारी रहा। गत वर्श 19 संदिग्धों 19 लोगों की गिरफतारी के साथ 02 करोड़ 76 लाख 68 हजार 104 रुपए की तस्करी के सामान जब्त करने में एसएसबी को सफलता हासिल हुई। तस्करी के मामले में वीरपुर थाना में दो मामले भी प्रतिवेदित हुए, जिसमें कांड संख्या-66/10 एडीपीएस यूरेनियम तस्करी से संबंधित कांड संख्या-154/10 एडीपीएस मामले भी दर्ज हैं। गौरतलब है कि बार्डर एरिया में दलहन, तेलहन, खाद यूरिया की तस्करी भारतीय क्षेत्र से नेपाल के लिए होती है जबकि लहसून, लौंग, दालचीनी, सुपारी, नषीले पदार्थ, हथियार व लकड़ी की तस्करी नेपाल से भारीय क्षेत्र के लिए होती है। बता दें कि भीमनगर चेकपोस्ट के इर्द-गिर्द कुकुरमुत्ते की तरह उग आई दुकानें तस्करी के लिए स्टाॅक प्वाइंट का काम करती है। 

मिली जानकारी अनुसार क्षेत्र की आबादी की तुलना में यहां दुकानों की संख्या अधिक है। इन्हीं दुकानों से तस्कर सामानों को इधर से उधर करते हैं। क्षेत्र में जितने बड़े तस्कर हैं उनका अपना अलग नेटवर्क है जबकि छोटे स्तर के तस्कर पगडंडियों, महिलाओं, साइकिल व ठेले की मदद से तस्करी को अंजाम देते हैं। बता दें कि इंडो-नेपाल बार्डर स्थित नो-मेंस लैंड के दोनों ओर जहां बस्तियां हैें उन क्षेत्रों में तस्कर ज्यादा सक्रिय हैं। सूत्रों की माने तो तस्कर महज बीच की भूमिका निभाते हैं जबकि उनके कैरियर एजेंट अहम भूमिका निभाते हैं। नोट के प्यासे एजेंट को दोनों तरफ की भौगोलिक परिस्थितियों व भाशाई ज्ञान होता है। लिहाजा, तस्करी आसान हो जाती है। दरअसल तस्करों का साम्राज्य साम दाम दंड भेद की नीति पर संचालित होती है और एसएसबी की सख्ती के बाद भी तस्कर नई राहें तलाषते हैं और तस्करी को अंजाम देते हैं। 

बिहारी खबर से विषेश बातचीत के क्रम में मनोहर लाल, सहायक कमांडेंट, एसएसबी इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि खुली सीमा होने के कारण पूर्णरुपेण रोकथाम संभव नहीं है। बावजूद इसके गष्त लगाई जाती है और हरेक माह छोटे बड़े तस्करों की गिरफतारी भी हो रही है। वर्श-12 का आंकड़ा दिखाते हुए श्री लाल कहते हैं कि जनवरी माह में 44,552 फरवरी में 02,91,800 मार्च में 98,280 अप्रैल में 75,000 मई .1,69,545 जून में 05,15,499 जुलाई में 44,000 अगस्त में 01,28,000 सितंबर में 38,856 अक्टूबर में 18,000 रुपए के सामान मसलन खाद, यूरिया, हथियार, मसाला, इलेक्टानिक गुडस, लकड़ी, नषीले पदार्थ व अन्य प्रतिबंधित सामानों की रिकवरी की गई। साथ ही 10 तस्करों की गिरफतारी के साथ साथ 04 संदिग्ध कष्मीरी को भी हिरासत में लिया गया। तो, कमियों के बावजूद एसएसबी की निगरानी जारी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि क्षेत्र में फलड लाइट नहीं होने के कारण रात्रि प्रहर जवानों को गष्त लगाने में कड़ी मषक्कत करनी पड़ती है। दरअसल सीमाई क्षेत्र में लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं है और कई बार बैठकों में इस बारे चर्चा होने के बाद भी कार्रवाई सिफर है। उधर, गुप्त सूचना का संकलन कर सरकार व पुलिस को अलर्ट करने वाला खुफिया विभाग भी बैषाखी पर चल रहा है। विभाग को न तो कार्यालय है और न ही पर्याप्त संसाधन। गुप्तचरों को काफी कम राषि मिलने से सही समय पर सभी सूचनाएं विभाग को नहीं मिल पाती हैं। ज्ञात हो कि विभाग को अपना कार्यालय नहीं रहने के कारण सहरसा, सुपौल, मधेपुरा तीनों जिले का कार्य देखने वाले डीएसपी, सहरसा एसपी कार्यालय के विदेष षाखा में बैठते हैं। जबकि एक छोटे से कमरे में चलने वाले विदेष षाखा को खुद कुर्सी तक नसीब नहीं है। एक ओर जहां सरकार पुलिस आधुनिकीकरण की बात कहती है वहीं दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण विभाग की हालत बैषाखी पर चलने जैसी है। लिहाजा, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि अंतरराश्टीय सीमा से सटे होने के बावजूद कोसी क्षेत्र में खुफिया विभाग किस तरह अपने कार्यों को अंजाम दे रहा है। 

सघन चेकिंग अभियान चलाया जाता है- सभी बीओपी पर पदाधिकारियों एवं जवानों को सतर्क कर तस्करी की रोकथाम के लिए सघन रुप से चेकिंग अभियान चलाया जाता है। नेपाल आने और जाने वाले लोगों की तलाषी के साथ साथ वाहनों की सघन रुप से जांच की जाती है- मनोहर लाल, सहायक कमांडेंट, एसएसबी। जानकारी मिलने पर होती है कार्रवाई: कस्टम हमेषा सतर्क रहती है, जानकारी मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है। पगडंडियों से तस्करी की जानकारी उन्हें नहीं मिली है- एके मिश्रा, कस्टम अधीक्षक, भीमनगर। सुरक्षात्मक उपायों पर सीएम से होगी चर्चा: अंतरराश्टीय सीमा होने के कारण यह केंद्र सरकार का मामला है, बावजूद इसके 22 लाख की आबादी वाले जिला सुपौल व खासकर विस क्षेत्र की सुरक्षा के संदर्भ में मामले को लेकर सीएम से चर्चा की जाएगी। साथ ही उन्होंने बताया कि सीमाई क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से हाइवे निर्माण को भी हरी झंडी मिल गई है- नीरज कुमार सिंह बबलू, स्थानीय विधायक ।
संसाधनों की है कमी: तीनों जिले में बेहतर काम हो रहा है, गुप्त सूचना का संकलन कर विभाग को भेजा जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि संसाधन की कमी है किंतु उपलब्ध संसाधन से ही तीनों जिले में कार्य को गति दी जा रही हैै-आनंद प्रकाष, डीएसपी, खुफिया विभाग, कोसी रेंज।





---कुमार गौरव---

कोई टिप्पणी नहीं: