- - चढ़ावा में मिले सोने चांदी के सिक्के को गिनती किए बगैर रखा जाता है खजाने में, प्रषासन बेपरवाह
कुमार गौरव, मधेपुरा: सिंहेश्वर बाबा के कीमती खजाने की चाबी मंदिर के नियंत्रण से बाहर है। वह भी विगत 15 सालों से। इस खजाने की एक चाबी जिनके पास थी उनकी मौत हो गई। एक चाबी अब भी एक पंडित जी के पास है। इस खजाने में कौन कौन से द्रव्य हैं इसकी जानकारी भी सबों को नहीं है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें लाखों रुपए मूल्य के सोने चांदी के सिक्के व गहने हैं। डेढ़ साल पूर्व इस खजाने का इंवेटी बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन लेखा में विसंगति रहने के कारण मामला अटक गया। इसके बाद कमरे को सील कर दिया गया। न्यास समिति की बैठकों में खजाने के ताले को तोड़कर उन द्रव्यों को गलाने की मांग भी कुछ सदस्यों ने की थी। अब इसे लेकर कमेटी ने निर्णय लिया है। इसके लिए तीन सदस्यीय टीम नियुक्त किए गए हैंै। न्यास से जुड़े लोग बताते हैं कि इस खजाने की गिनती वर्श 1996 के बाद कभी नहीं हुई। बाबा को सोने चांदी चढ़ावा में मिलते गए और इस बक्से में गिरते गए। इस समय खजाने में कितनी मात्रा में सोने चांदी के सिक्के व गहने हैं इसका सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है।
नहीं होती सिक्के व गहने की पहचान: खजाने में रखते समय द्रव्यों की पहचान नहीं की जाती है। रिकार्ड में सिर्फ द्रव्यों कारंग व आकार अंकित किया जाता है। लंबे समय तक सीलन में बंद रहने के बाद उस द्रव्य का रंग भी बदल जाता है। ऐसा एक बार भी नहीं हुआ है। माना जाता है कि जब कभी द्रव्यों का सत्यापन होगा, अधिकांष का रंग काला पड़ गया होगा। इस बाबत व्यवस्था से जुडे़ लोग बताते हैं कि यहां पूर्व से इसी तरह काम होते रहा है। सिंहेष्वर बाबा मंदिर में बड़े अवसरों पर श्रद्धालु चढ़ावा के तौर पर सोना चांदी चढ़ाते हैं। पार्वती मैया को सोने चांदी की बिंदी, बाली, कंगन और बाबा को सिक्का चढ़ाया जाता है।
मंदिर में बने संग्रहालय: बाबा मंदिर में हर साल भारी मात्रा में नए पुराने नोट व सिक्के चढ़ावा के रुप में चढ़ते हैं। सिहंेष्वर मंेदिर न्यास समिति को चाहिए कि इन नोटों व सिक्कों को संग्रहालय के रुप में संरक्षित करे। इससे यहां आने वाले श्रद्धालु एक नए अनुभव सेरुबरु होंगे। नई पीढ़ी के लोग जिन्होंने पुराने जमाने के सिक्कों के बारे में सिपर्फ सुन व किताबों में पढ़ रखा है वे यहां उन दुर्लभ सिक्कों व नोटों को देख पाएंगे। इस संग्रहालय में आने का अगर कुछ षुल्क भी निर्धारित कर दिया जाए तो मंदिर न्यास समिति की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी।
दी गई है जिम्मेवारी: द्रव्यों की पहचान और उसके निस्तारण के लिए कमेटी ने सदस्य डाॅ अरुण कुमार मंडल, डाॅ दिवाकर प्रसाद सिंह व अधिवक्ता मदन मोहन सिंह को अधिकृत किया गया है।
नहीं होती है साफ सफाई: बाबा दरबार में प्रतिदिन हजारों की तादाद में श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचते हैं और बाबा सिहेंष्वर से मन्नतें मांगते हैं। इन श्रद्धालुओं को सुविधा के नाम पर कुछ भी नसीब नहीं होती है। लिहाजा उन्हें मंदिर परिसर के बाहर गंदगी से दो चार होना पड़ता है। हल्की बारिष के बाद तो स्थिति बेहद नारकीय हो जाती है। नालियां गंदगी से अटी होती है और पानी सड़क पर लबालब। कई बार षिकायतें भी दर्ज हुई लेकिन नतीजा सिफर है।
---कुमार गौरव---

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