सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अमेरिकी जासूसी पर आई एक जनहित याचिका खारिज की. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह याचिका पर विचार नहीं कर सकती क्योंकि भारतीय एजेंसी इसमें शामिल नहीं है और याचिकाकर्ता को आंकड़ों की जासूसी करके निजता के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए इंटरनेट कंपनियों और अमेरिकी एजेंसी के खिलाफ उपचार मांगने के लिए किसी अन्य फोरम के पास जाना चाहिए. यह याचिका दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के पूर्व डीन एसएन सिंह ने दायर की है.
न्यायमूर्ति एके पटनायक और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता के पास विदेशी कंपनियों के खिलाफ निजता का अधिकार हो सकता है लेकिन यह अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कवर नहीं है.’ पीठ ने यह भी कहा कि यह अदालत संसद को नागरिकों की निजता के अधिकार की रक्षा के लिए इस तरह की जासूसी के खिलाफ कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकती.
याचिका में सिंह ने आरोप लगाया था कि अमेरिकी प्राधिकारों द्वारा इतने बड़े पैमाने पर जासूसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसानदेह है. उन्होंने शीर्ष अदालत से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा. उन्होंने दावा किया कि अनुबंध और निजता के अधिकार का उल्लंघन करके इंटरनेट कंपनियां विदेशी प्राधिकार के साथ सूचना साझा कर रही हैं. अधिवक्ता विराग गुप्ता के जरिए दायर याचिका में उन्होंने कहा, ‘रिपोर्ट के अनुसार भारतीय उपयोगकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित समझौतों के जरिए भारत में संचालन कर रही अमेरिका आधारित नौ इंटरनेट कंपनियों ने भारतीय उपयोगकर्ताओं की सहमति के बिना अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के साथ 6.3 अरब सूचना, आंकड़ा साझा किया गया.’ याचिका में कहा, ‘अमेरिकी प्राधिकारों द्वारा इतने बड़े पैमाने पर जासूसी निजता मानकों के उल्लंघन के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी नुकसानदेह है.’ हालांकि, पीठ इसपर राजी नहीं हुई और उसने कहा कि वह अमेरिकी सरकार और उसकी एजेंसियों के खिलाफ कोई आदेश नहीं दे सकती क्योंकि उसका उन पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.
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