उत्तराखंड बाढ़ विभीषिका की विस्तृत खबर (28 जून) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 जून 2013

उत्तराखंड बाढ़ विभीषिका की विस्तृत खबर (28 जून)

प्रदेश के राजस्व पर अधिकारियों का डाका
  • उद्योग विभाग की तानाशाही से प्रदेश में स्थापित उद्योग संकट में


देहरादून, 28 जून। प्रदेश में चल रहे उद्योगों को तो राज्य सरकार मदद करने में असहाय नजर आती है, लेकिन जो उद्योग प्रदेश में स्थापित ही नहीं है उनसे प्रदेश के उद्योग विभाग की गलबहियां अपने आप में संदेहास्पद है कि कहीं न कहीं दाल में कुछ काला जरूर है। मामला राज्य के अस्तित्व में आने केे बाद से स्थापित सीमेंट फैक्ट्रियों को लाईम स्टोन की माईनिंग के पट्टे का है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद तिवारी सरकार के दौरान प्रदेश में औद्योगिकीकरण का माहौल बना। तिवारी के व्यक्त्त्वि व उनके औद्योगिक घरानों से सम्बधों के चलते व केन्द्र में बाजपेई की सरकार द्वारा राज्य को दिये गये विशेष औद्योगिक पैकेज  के मिलते ही प्रदेश में औद्योगिकीकरण का माहौल भी बना जिसका लाभ नवोदित राज्य  उत्तराखण्ड को मिला। प्रदेश मे देश की नामी गिरामी औद्योगिक घरानों  ने अपने उद्योगों को प्रदेश में स्थापित करना शुरू किया। इस दौरान प्रदेश में सीमेन्ट की तीन फैक्ट्रियां भी लगी जिनमें अम्बुजा, श्री सीमेंट तथा जेपी सीमेंट प्रमुख है। एक जानकारी के अनुसार राज्य में इन सीमेन्ट उद्योगों के स्थापना के दौरान प्रदेश सरकार ने उन्हे प्रदेश से लाईम स्टोन जिससे सीमेंट बनाया जाता है के खनन के पट्टे भी दिये जाने पर सहमति प्रकट की थी, राज्य में स्थापित सीमेंट उद्योगों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए चूने के पत्थर की माइनिंग के लिए स्थल का चयन कर उसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रदेश के उद्योग विभाग को दे दी थी ताकि राज्य के बाहर से उन्हे लाईमस्टोन न लाना पड़े और सीमेंट के दाम अन्य राज्यों के मुकाबले कम हों, प्रदेश को राजस्व के रूप में पैसा भी मिले। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण व चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश सरकार के उद्योग विभाग ने एक ऐसे उद्योग समूह को लाईमस्टोन की माइनिंग का पट्टा देने की तैयारी कर ली है जिसने यहां सीमेंट उद्योग लगाया ही नहीं। चर्चा तो यहां तक है कि प्रदेश सरकार का उद्योग विभाग मामला खुलता देख यह प्रचार करने लगा है कि यह उद्योग समूह 3500 करोड़ रूपया उत्तराखण्ड में निवेश करने को तैयार है। 
  
इस समूचे प्रकरण में सबसे संदेहास्पद बात यह है कि जिन उद्योग समूहों ने राज्य निर्माण के बाद राज्य में औद्यौगिकीकरण में इच्छा जताई उद्योग विभाग ने उन्हे दूध की मक्खी की तरह किनारे कर दिया। इस समूचे प्रकरण में चर्चा तो यहां तक है कि अल्ट्राटेक सीमेट व सरकार के उद्योग विभाग के बीच अन्डर टेबिल मोटी डील हुई है और अब मामला खुलने की डर से विभाग प्रदेश में बड़े निवेश की बात करने लगा है ताकि विरोध को कुछ कम किया जा सके। सूत्रों के अनुसार इस डील में राज्य सरकार का प्रमुख सचिव स्तर के एक अधिकारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुल मिलाकर उद्योग विभाग की इस तरह की कार्यशैली से राज्य निर्माण के दौरान स्थापित सीमेंट उद्योगों में निराशा का वातावरण और इससे प्रदेश में औद्योगिक संकट आ सकता है। क्योंकि उन्हे उम्मीद थी कि उनके द्वारा चूने के पत्थर की माईनिंग का लाभ प्रदेश की जनता को सीमेंट के दाम कम होने से मिलता और उन्हे भी अन्य प्रदेशों से आयात में खर्च से मुक्ति मिलती। मामले में संयुक्त निदेशक खनन से जब बात की गयी तो उन्होने बताया कि अल्ट्राटेक से प्रदेश सरकार का चूने के पत्थर को लेकर एमओयू होने वाला है जबकि इससे पहले से आवेदनकर्ता प्रदेश में स्थापित सीमेन्ट उद्योगों के आवेदन निरस्त किये जा चुके हैं। राज्य में स्थापित सीमेंट उद्योंगों के आवेदनों के निरस्तीकरण के क्या कारण रहे वह नहीं बता पाये। इससे साफ होता है कि ‘‘अंधा बांटे रेवड़ी अपने-अपने को देय‘‘ की उक्ति यहां साकार हो रही है। 

केन्द्र की टीम करेंगी क्षति का आंकलन: शिंदे
  • चिरंजीवी ने पर्यटन क्षेत्र में 100 करोड का विशेष पैकेज देने की घोषणा
  • केन्द्रीय गृहमंत्री व पर्यटन मंत्री ने की राहत कार्यों की समीक्षा



देहरादून,28 जून,। भारत सरकार उत्तराखण्ड में आई दैवीय आपदा से प्रभावित क्षेत्रों और लोगों की हर सम्भव सहायता करेगी। केरोसिन, गैस, अनाज, चीनी, दवा आदि बुनियादी जरूरते मुहैया कराई जायेगी। आपदा राहत के रूप में एक 1000 करोड़ रुपये राज्य को दिए गये हैं। केन्द्र से विशेषज्ञों की टीम आकर राज्य में हुए क्षति का आंकलन करेगी। इसके बाद पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए जितने भी धन की आवश्यकता होगी, भारत सरकार उपलब्ध करायेगी। यह भरोसा केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दैवीय आपदा की समीक्षा के दौरान उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को दिलाया। केन्द्रीय पर्यटन मंत्री डॉ. के. चिरंजीवी ने पर्यटन क्षेत्र में हुए नुकसान की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार से मिलने वाले 95 करोड़ रुपये के अलावा 100 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देने की घोषणा की। केन्द्रीय गृह मंत्री ने बताया कि उत्तराखण्ड सरकार राहत बचाव कार्य में बड़ी मुस्तैदी और तत्परता से कार्य कर रही है। सेना, एयर फोर्स, आईटीबीपी और एनडीआरएफ के साथ बेहतर तालमेल बना कर कार्य किया जा रहा है। यह निर्णय लिया गया है, कि अगले 15 दिनों तक एयरफोर्स के सभी हैलीकाप्टर उत्तराखण्ड में रहकर सम्पर्क मार्ग से कट चुके गांवों में राशन और जरूरी सामान ड्राप किये जायेंगे। यह भी कोशिश की जा रही है, कि जो सड़के आपदा से टूट गई है, उन्हें जल्द से जल्द ठीक किया जाय। सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों को डेड लाइन दे दी गई है। केदारनाथ क्षेत्र में हैलीकाप्टर के जरिये जेसीबी भेजने का भी निर्णय लिया गया है।  शिंदे ने कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग की टीम महानिदेशक और अन्य विशेषज्ञों के साथ उत्तराखण्ड में है। किसी भी तरह की महामारी या संक्रामक रोग न फैले इसके लिए जरूरी एहतियात बरते जा रहे हैं। बदरीनाथ में अभी जो लोग फंसे हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर बीमार, वृद्ध, महिलाओं को सुरक्षित स्थान पर पहंुचाने की व्यवस्था की गई है। यह भी निर्णय लिया गया है, कि जैसे ही मौसम साफ होता है, ज्यादा से ज्यादा हैलीकाप्टर इस काम में लगाये जायेंगे। आपदा में फंसे लोगों के निकालने के बाद भी सेना प्रभावित क्षेत्रों में काम्बिंग कर रही है। बैठक में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने प्रदेश में आई आपदा में सहयोग के लिए केन्द्र सरकार के साथ ही केन्द्रीय गृहमंत्री एवं पर्यटन मंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आपदा पीड़ितों की सहायता के साथ ही आपदा ग्रस्त ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिये तत्परता से कार्य कर रही है। राज्य में निवासियों के दुख दर्द को दूर करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। बैठक में मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने आपदा से हुई क्षति और राहत एवं बचाव कार्यो का विस्तृत व्यौरा प्रस्तुत किया। इससे पूर्व हैलीकाप्टर दुर्घटना में मृत शहीदों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का  मौन रखा गया। बैठक में प्रदेश की पर्यटन मंत्री अमृता रावत, स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी, एनडीएमए के उत्तराखण्ड प्रभारी बीके दुग्गल, भारत सरकार और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।  

प्राणों की आहूति देने वाले अधिकारियों व जवानों को गार्ड ऑफ ऑनर

देहरादून,28 जून,। उŸाराखण्ड में आपदा राहत कार्य करते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले अधिकारियों व जवानों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। कें्रदीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, केद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री डा.के.चिरंजीवी, आर्मी चीफ जनरल बिक्रम सिंह ने पुष्प चक्र अर्पित किए और सलामी दी। 18 जून को रेस्क्यू कार्यों में लगे एक हेलीकाप्टर के क्रेश होने से वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी के 20 अधिकारी व जवान शहीद हो गए थे। श्रद्धांजलि देने वालों में एनडीएमए के सदस्य वीके दुग्गल, पूर्व मुख्यमंत्री मे.ज.(से.नि.) भुवन चंद्र खण्डूड़ी, राज्य के काबिना मंत्री श्रीमती अमृता रावत, दिनेश अग्रवाल, सुरेंद्र सिंह नेगी सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, शासन के अधिकारी शामिल थे। मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, पुलिस व अन्य संस्थाओं के अधिकारी व जवान अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए बचाव व राहत कार्यों में लगे हैं। उŸाराखण्ड में शहीद हुए अधिकारियों व जवानों से मानवता की सेवा करने की प्रेरणा मिलती है। राहत अभियान को पूरा करना ही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राज्य में राहत अभियान निरंतर जारी रहेगा। राहत कार्यों में प्राणों की आहूति देने वालों के परिजनों को 10-10 लाख रूपए स्वीकृत किए गए हैं। यदि इन शहीदों के बच्चे उŸाराखण्ड में शिक्षा ग्रहण करते हैं तो इसका व्यय राज्य सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उŸाराखण्ड के स्थानीय लोगों ने आहर से आए यात्रियों की अपने सामर्थ्य से बाहर जाकर भी मदद की है। दैवीय आपदा से प्रभावित गांवों में राहत पहुंचाने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। 

कालीमठ क्षेत्र के दर्जनों गांव में बरसा प्रकृति का कहर
  • भवन, गौशाला, पुल, सिंचित व असिंचित भूमि चढ़ी भूस्खलन की भेट


देहरादून,28 जून,। 16 व 17 जून को प्रकृति का कहर कालीमठ क्षेत्र के दर्जनों गांवों में भी जमकर बरसा है। कई आवासीय भवनों, गौशालाओं, पुलों, कई हेक्टेयर सिंचित व असिंचित भूमि के भूस्खलन की भेंट चढने के कारण ग्रामीण बेघर हो गए हैं। जबकि नदियों पर बने पुलों के जमींदोज होने से कई गांवों का संपर्क टूट गया है, जिससे दर्जनों गांवों में खाद्यान्न संकट गहरा गया है। गुप्तकाशी-कालीमठ-चौमासी मोटरार्ग के जगह-जगह नामो निशान मिटने से वाहनों की आवाजाही ठप पडी हुई है। सिद्धपीठ कालीमठ में बने पुल के ढह जाने से सिद्धपीठ कालीमठ जाने वाले श्रद्धालु मां काली के दर्शनों से वंचित रह रहे हैं। क्षेत्र में हुई विनाशलीला से कुणजेठी तल्ला निवासी भोपाल सिंह राणा, दिलवर सिंह राणा, प्रधान कालीमठ अबल सिंह राणा, गजपाल सिंह, रणवीर सिंह, अनिल सिंह, सुनील सिंह, अबल सिंह, प्रबल सिंह, गोविंद सिंह, शिवराज सिंह, भवान ंिसंह, दर्शन सिंह, गोपाल सिंह, दिनेश सिंह की मकानें पूर्णतः ध्वस्त होने से प्रभावितों ने दूसरे के घरों में आसरा ले रखा है। जबकि कई ग्रामीणों की गौशालाएं व मवेशी जिंदा दफन हो गए हैं। सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर परिसर में महादेव का मंदिर भी भूस्खलन की भेंट चढ गया है और मंदिर परिसर के लक्ष्मी व सरस्वती मंदिर के परिसर में भूमि कटाव होने से मंदिर खतरे की जद में आ गए हैं। ग्रामीण रणजीत सिंह, बद्री सिंह, केसर सिंह, राजेन्द्र सिंह, पृथ्वी सिंह, प्रेम सिंह, इन्द्र लाल सहित दो दर्जन से अधिक ग्रामीणों की मकानें खतरे की जद में आ गई हैं। जूनियर हाईस्कूल व आंगनबाडी केन्द्र भी भूस्खलन की भेंट चढ गया है। कालीमठ मंदिर के चारों और हुए करोडों रूपये के सौन्द्रयीकरण आपदा की भेंट चढ चुका है। मोटरमार्ग के क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों को भटकर जंगलों के रास्ते मंजिल तक पहुंचना पड रहा है। शासन-प्रशासन द्वारा आपदा प्रभावितों को आज तक खाद्यान्न सामग्री नहीं पहुंचाई गई, जिससे कई गांवों में खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है।

अब गंगोत्री मंदिर में पड़ी दरारें

देहरादून,28 जून,। भारी बरसात ने उत्तराखण्ड के धार्मिक स्थलों को काफी नुकसान पहंुचा है। अभी देश केदारनाथ घाटी से आ रही भयावह तस्वीरों के दर्द से देश उभरा भी नहीं था कि अब गंगोत्री मंदिर से बुरी खबर आ रही है। 19वीं सदी में बने इस मंदिर को गंगा का उदगम स्थल माना जाता है। यहां भारी बारिश होने के कारण एक झरने ने मंदिर परिसर के एक हिस्से को भारी नुकसान पहुंचाने की आशंका बढ़ा दी है। चार धाम में से एक गंगोत्री मंदिर में गंगा माता की प्रतिमा है। यह भागीरथी के किनारे है और नदी के वास्तविक स्रोत से 18 किलोमीटर के फासले पर है। बेहद खराब मौसम और ग्लैशियर से आने वाले पानी के कारण मंदिर की इमारत और परिवार की दीवार में कई जगह दरार पड़ गई है। लकड़ी से बना ढांचा एक जगह से टूट भी गया है। पुजारियों का कहना है कि बारिश और सर्दियों में पड़ने वाली बर्फ के कारण यह सब हो रहा है। गंगोत्री के पुजारी पंडित द्रोर्णाचार्य सेमवाल ने कहा कि भैंरो झाप झरना खतरा बन गया है। उन्होंने कहा कि ग्लैशियर से आने वाले इस झरने में काफी पत्थर-कंकड़ बहकर आते हैं। इसका काफी पानी मंदिर परिसर में भी दाखिल होता है। सर्दियों में यहां सब जम जाता है और पूरा इलाका बर्फ से ढंक जाता है। एक अन्य पुजारी जयप्रकाश सेमवाल का कहना था कि हम नहीं जानते कि आगे क्या होगा? अगर भारी बारिश होती है, तो हम गंगा मैया की दया पर निर्भर हैं।

आपदा प्रबंधन में प्रदेश सरकार विफल: निशंक
  • तबाह गांवों की सुध लेने वाला कोई नहीं


जोशीमठ/ देहरादून,28 जून,। प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री डा0 रमेश पोखरियाल निशंक ने आपदा प्रबंधन मे राज्य सरकार को पूरी तरह से विफल बताया। उन्होंने कहा कि आपदा की घटना के चार दिन बाद तक सरकार को मृतकों की संख्या का अनुमान तक नही था। सरकार पूरी तरह सवेंदनहीन हो सकती है। डा0 निशंक यहां एक होटल मे पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे, उन्होने कहा कि सबसे पहले केदारनाथ पंहुचकर उन्होने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को केदारनाथ मे हजारों शवों को सूचना दी, तब जाकर कहीं राज्य का प्रशासन हरकत मे आया। उन्होने कहा कि तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालना प्राथमिकता है, लेकिन जो गांव के गांव तबाह हो चुके है, उनकी सुध नही ली जा रही है। जेाशीमठ मे प्रभावित ग्राम पुलना व भ्यॅूडार के करीब 99 परिवारों को भेड़-बकरी की तरह ठूॅसा गया है, गोविंदघाट के पास के गांव फॅया के निवासियों को भोजन तक उपलब्ध नही दिया गया। उन्होने कहा कि राज्य मे इतनी बड़ी आपदा आ गई है, लेकिन देश के गृहमंत्री इसे राष्ट्रीय संकट तो मान रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय आपदा घोषित करने को तैयार नही है। उन्होंने कहा कि इस आपदा से निपटने के लिए सरकार का प्रबंधतंत्र पूरी तरह फेल रहा है, सरकार वक्त से जागती तो कई जाने बचाई जा सकती है। डा0 निशंक ने कहा कि जोशीमठ हेमकुंड साहिब व बदरीनाथ मे फॅसे श्रद्धालुओं के रेस्क्यू आपरेशन का महत्वपूर्ण केंद्र था, लेकिन सरकार इतना भी नहीं समझ पाई कि यहां प्रदेश के एक मंत्री व एक प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को कैंप करना चाहिए। कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बदरीनाथ मे जीएमवीएन के एमडी को तैनात कर इतिश्री कर ली गई। उन्होने कहा कि यदि सेना और आर्इ्रटीबीपी नही होती तो पूरे राज्य के आपदा ग्रस्त क्षेत्रों मे क्या स्थिति होती इसका अंदाजा नही लगया जा सकता था। पूर्व सीएम ने कहा कि बदरीनाथ मे अभी तीन से चार हजार तीर्थयात्री है, आपदा के 12 दिनों मे इन यात्रियों को सुरक्षित नही निकाला जा सका सरकार की इससे बड़ी विफलता और क्या हो सकती है! इससे पूर्व डा0 निशंक ने लेानिवि के निरीक्षण भवन मे पार्टी कार्यकर्ताओ की बैठक कर पार्टी स्तर से अब तक किए गए राहत एवं बचाव कार्यो की जानकारी ली। डा0 निशंक ने कार्यकर्तााओं से टीम बनाकर उर्गम व नीती घाटी मे पंहुचकर लोगो की समस्याओं की जानकारी लेने के निर्देश दिए। पार्टी बैठक मे नगर पालिका अध्यक्ष रोहणी रावत, पूर्व पालिकाध्यक्ष रामकृष्ण रावत, ऋषि प्रसाद सती, जिपं की पूर्व अध्यक्षा विजिया रावत, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य मोहन प्रसाद थपलियाल, मंडल महामंत्री जगदीश सती, जिपं के पूर्व सदस्य गोविंद सिंह पंवार, डा0 एसएस भंडारी,क्षेत्र प्रमुख सुचिता चौहान, भाजपा नेता जयशंकर डंगवाल, मुकेश, पूर्व सभासद प्रदीप डिमरी व हर्षबर्धन भटट, पूर्व मंडल अध्यक्ष राकेश भंडारी सहित अनेक भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे। पूर्व सीएम ने जोशीमठ मे बनाए गए आपदा राहत शिविरों मे जाकर ग्रामीणों का हाल चाल जाना व मौके से आयुक्त,व डीएम को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए।

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