द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) प्रमुख एम करुणानिधि की पुत्री एवं सांसद एम कनिमोझी ने टूजी स्पेकट्रम आवंटन घोटाला मामले में अपने खिलाफ आरोपों को निरस्त करने का आग्रह लेकर आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कनिमोझी पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और 14 अन्य के साथ इस मामले की आरोपी हैं। वह आरोप निरस्त कराने का अनुरोध लेकर गत वर्ष 23 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंची थी। उनका दावा था कि उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसकी सुनवाई पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि टूजी मामले की जांच की निगरानी वह खुद कर रहा है। ऐसे में उच्च न्यायालय को इसकी सुनवाई का कोई हक नही है।
कनिमोझी ने अब निष्पक्ष सुनवाई और कानून के समक्ष समानता के अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को आधार बनाकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय में उनकी याचिका पर सुनवाई पर नवम्बर 2012 में रोक लगाकर उच्चतम न्यायालय ने उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया है। उनकी दलील है कि निचली अदालत ने इस तथ्य को नजरंदाज किया है कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कोई आरोप नहीं है।
यह मामला 2जी घोटाले में घूस के तौर पर कलईगनार टीवी में 224 करोड रुपये के निवेश से जुडा है। इस चैनल में कनिमोझी 20 फीसदी की हिस्सेदार हैं।
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