अन्य देशों की तरह ही भारत के पास भी 2015 तक उपग्रह आधारित जहाजरानी व्यवस्था होगी। एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि इस उद्देश्य के लिए अंतरिक्ष एजेंसी छह उपग्रहों का निर्माण करने में जुटी हुई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने अपना नाम सामने न लाने की शर्त पर बताया कि भारतीय जहाजरानी उपग्रह व्यवस्था के सभी सात उपग्रह समान हैं और अंतरिक्ष एजेंसी उनको तैयार करने की प्रक्रिया में है। इनमें से दूसरा इस साल के अंत में या फिर 2014 में प्रक्षेपित होगा।
भारत सोमवार रात को अपने पहले जहाजरानी उपग्रह आईआरएनएसएस-आईए को प्रक्षेपित करने जा रहा है। 1,425 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह को श्रीहरिकोटा से पोलर सेटेलाइट लांच वेहिकल-एक्सएल (पीएसएलवी-एक्सएल) से प्रक्षेपित किया जाएगा। उम्मीद है कि आईआरएनएसएस-आईए उपग्रह क्षेत्रीय, हवाई और समुद्री परिवहन की सूचना देने के साथ ही आपदा और बेड़ा प्रबंधन में मददगार होगा। इसरो ने कहा कि उपग्रह का जीवन काल 10 वर्ष का होगा।
भारतीय उपग्रह तंत्र अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस)24 उपग्रह, रूसी ग्लोनास (24 उपग्रह),यूरोप के गैलीलियो (27 उपग्रह), चीन के बेईदोउ (35 उपग्रह) और जापान के क्वोशी जेनिथ (3 सेटेलाइट ) व्यवस्था के समान होगा। जीपीएस और ग्लोनास पूरी तरह वैश्विक व्यवस्थाएं हैं और चीन और जापान की व्यवस्था क्षेत्रीय है। यूरोपीय व्यवस्था अभी शुरू नहीं हुई है। इसरो ने कहा कि अधिक उपग्रहों को शामिल करने से संचालन क्षेत्र का विस्तार किया जा सकता है। पूरी व्यवस्था के 2015 तक अस्तित्व में आने की उम्मीद है और इस पर 1,420 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है।

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