यूपीए की सहयोगी एनसीपी समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने बुधवार को योजना आयोग द्वारा पेश किए गए गरीबी के आंकड़ों को पूरी तरह गलत बताया। आयोग ने मंगलवार को दावा किया था कि देश में गरीबों की संख्या 2004-05 के 37.2% से घटकर 2011-12 में 21.9 फीसदी रह गई है।
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हम योजना आयोग के आंकड़ों से सहमत नहीं हैं, ये पूरी तरह गलत हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए गरीबी के लिए नए मानक तैयार करने चाहिए। सीपीआई (एम) नेता बृंदा करात ने कहा कि गरीबी को लेकर केंद्र के आंकड़े संदेहास्पद और अविश्वनीय हैं। सरकार ने ये आंकड़े पेश करके गरीबों के जख्मों पर नमक लगाने का काम किया है।
बीजद नेता जय पांडा ने कहा कि देश में गरीबी से निपटने के लिए अभी लंबा सफर तय करना है। इस मामले पर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। इससे पहले भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार सिर्फ झूठी सुनहरी तस्वीर दिखाने की कोशिश कर रही है।वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं पीएम व सोनिया गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या वे 32 रुपये में एक वक्त का खाना खा सकते हैं। ये आंकड़े गरीबों पर एक भद्दा मजाक हैं।
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