सपा की कहानी उप्र से शुरू होकर उप्र में ही खत्म : भाजपा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 1 जुलाई 2013

सपा की कहानी उप्र से शुरू होकर उप्र में ही खत्म : भाजपा


भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई ने सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर कुछ भी बोलने से पहले सपा को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसकी कहानी उप्र से शुरू होकर उप्र में ही खत्म हो जाती है।  भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज मिश्र ने कहा कि जब करिश्मा चलता है तो वह सारे देश में चलता है, फिर चाहे वह गुजरात हो या उत्तर प्रदेश हो या कोई अन्य राज्य।


ज्ञात हो कि अखिलेश यादव ने मोदी पर प्रहार करते हुए कहा था कि यह गुजरात नहीं है, यहां उनका करिश्मा नहीं चलेगा।  मिश्र ने कहा कि सपा एक क्षेत्रीय दल है तो स्वाभाविक है कि उसकी सोच भी वैसी ही होगी। राष्ट्रीय दल भाजपा की कार्यशैली के बारे में उन्हें अंदाजा नहीं है। भाजपा चीजों को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखती है, जबकि सपा की कहानी यहीं से शुरू होती है और यहीं पर खत्म हो जाती है। 



मिश्र ने कहा कि अखिलेश यादव अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं। उप्र को धर्म निरपेक्ष राज्य और अपने दल को धर्मनिरपेक्षता का पैरोकार बताने वाले अखिलेश यह बताएं कि क्या धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा एक वर्ग का तुष्टीकरण करना है या फिर बहुसंख्यकों का सम्मान भी उसमें शामिल है। मिश्र ने कहा कि एक संप्रदाय विशेष के आतंकवादियों पर से मुकदमों की वापसी ही धर्मनिरपेक्षता है। सपा ने मुस्लिम तुष्टीकरण को ही धर्मनिरपेक्षता समझ लिया है, इसीलिए उन्हें ऐसा लगता है कि सपा ही धर्म निरपेक्षता की सही पैरोकार है। 

कोई टिप्पणी नहीं: