विधायक शैला रानी रावत ने की इस्तीफे की पेशकश!
देहरादून, 1 जुलाई। केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक शैला रानी रावत केदारघाटी में स्थानीय लोगों के लिए हो रहे राहत व बचाव कार्याें से नाखुश नजर आ रही हैं, वहीं उन्होंने सोमवार को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से मुलाकात कर अपनी नाराजगी भी जताई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राहत एवं बचाव कार्य ठीक ढंग से न होने के चलते विधायक शैला रानी रावत ने अपने इस्तीफे की पेशकश तक मुख्यमंत्री से कर दी। हालांकि अभी उन्होंने स्वंय इसकी पुष्टि सार्वजनिक रूप से नहीं की है। मिली जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह केदारनाथ से कांग्रेस विधायक शैला रानी रावत मुख्यमंत्री से मिलीं। रावत ने आरोप लगाते हुए कहा कि आपदा राहत कार्याें में ढील बरती जा रही है और कोई भी अधिकारी उनकी सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंची हैं। वहीं अंदरूनी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री बहुगुणा के सामने हालात न सुधरने की स्थिति में अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने तक की चेतावनी दे डाली है।
एकता ट्रस्ट की टीम भटकती रही, संस्कार करने जाए कहाँ!
देहरादून, 1 जुलाई। सूरत से आई एकता ट्रस्ट की 14 सदस्यीय टीम को देहरादून आते ही यहाँ की लचर प्रशासनिक व्यवस्था से दो चार होना पड़ा. सारे दिन भटकने के बाद जब कहीं से भी कोई माकूल जवाब नहीं मिला तो उन्हें मायूस होकर ऋषिकेश की ओर रुख करना पड़ा। वहीँ प्रदेश की पुलिस में कर्तव्यनिष्ठा का पाठ पढ़ाने वाले डी.आई.जी. ने केदारनाथ व उसके आसपास क्षेत्र में फैली 94 लाशों को जिनकी शिनाख्त करनी भी मुश्किल हो गयी थी को अपनी पुलिस टीम के साथ इक्कट्ठा कर मुखाग्नि दिलाई। जिनसे बदबू आ रही थी और क्षेत्र में महामारी फैलने की संभावना बढ़ने लगी थी। इस काम में उन्होंने स्वयं आगे बढ़कर हाथ बंटाया। उन्होंने न सिर्फ चिताओं को सजाने पुलिस कर्मियों की मदद की बल्कि खुद लाशों को लादने में भी आगे रहे। उनके इस कार्य से पुलिस कर्मियों में नये जोश का संचार हुआ. डी.आई.जी. संजय गुंज्याल ऐसे पहले पुलिस अफसर होंगे जिन्होंने ऐसी मिशाल पेश की है। एकता ट्रस्ट के ए.आर. कलबारी और डॉक्टर इमरान उल्लाह ने जानकारी देते हुए बताया कि ट्रस्ट की टीम उनकी टीम को प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह की ओर से ईमेल प्राप्त हुआ था जिसके पाते ही यह टीम तुरुन्त रवाना हुई लेकिन यहाँ पहुँचने के बाद कोई भी अधिकारी यह कर्मचारी उन्हें यह बताने को तैयार नहीं है कि उन्होंने करना क्या है और कहाँ अपनी सेवाएं देनी हैं और तो और प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए किसी भी जानकारी से मना कर दिया। ज्ञात हो कि एकता ट्रस्ट की इस टीम ने इससे पूर्व सुनामी कच्छ और कांधला में आई प्राकृतिक आपदा में अपनी सेवाएं दी हैं। यह टीम अपना कार्य पुलिस और प्रशासन की निगरानी में जाति के आधार पूरे धर्म कर्म के साथ करवाती है ताकि किसी जाती विशेष या धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे। प्रदेश की पुलिस जहाँ एक ओर कुदरत के इस कहर से डटकर मुकाबला कर रही है वहीँ हलकी बर्फवारी और बरसात राह का रोड़ा बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस टीम को जहाँ एक ओर सडी गली लाशों से उठ रही बदबू से परेशानी हो रही है वहीँ तेजी से फ़ैल रहे संक्रमण से क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने वाले डॉक्टर भी असहज हो रहे हैं। उन्हें भी ऐसे संक्रमणों से रोज दो चार होना पद रहा है। यही नहीं कई डॉक्टर संक्रमण के शिकार भी हो गए है। सूत्र यह भी बताते हैं कि पुलिस मुख्यालय में लौटे कुछ पुलिसकर्मी वहां से आकर अभी तक दहशत में हैं। उनका कहना है कि उनके दो सहयोगियों को दिल का दौरा पड चुका है। रात भर डरावनी चीखों के साए में ये पुलिस कर्मी वहां अपनी सेवाएं देने में असहज महसूस कर रहे हैं। पूरी घाटी में भूत व प्रेत का डर मंडरा रहा है। जिसके लिए राज्य सरकार ने बंगलुरु से छह सदस्यीय मनोचिकित्सकों की टीम बुलाई है, जो दो दो के ग्रुप में केदार घाटी में काम कर रही प्रशासनीय टीम को अलग अलग ट्रीटमेंट देगी। देहरादून के मनोचित्सक डॉक्टर नंदकिशोर ने जानकारी देते हुए बताया कि यह टीम इससे पूर्व अमेरिका में घटित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में भी अपनी सेवाएं दे चुकी है। निम हेंस (नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज) बंगलुरु की यह टीम भूतों पर काम करने में एक्सपर्ट मानी जाती है। उन्होंने बताया की प्रेतात्मा से परेशां व्यक्ति पोस्ट ट्रोमेटीक्स स्ट्रेस डिसआर्डर नामक बिमारी से पीड़ित हो जाते हैं जिसके इलाज में यह टीम पारंगत है। उन्होंने बताया कि इस छह सदस्यीय दल में दो सायिकोटिस्ट, दो क्लिनिकल सायिकोटिस्ट और दो सोशल वर्कर शामिल हैं जिन्हें केदारनाथ में कार्य कर रही पुलिस व अन्य प्रशासनिक अमले को ट्रीटमेंट देना है। डी.आई.जी. संजय गुंज्याल ने अपने अनुभवों की जानकारी देते हुए कहा कि वहां की स्थिति वर्तमान में बहुत भयावाह है, हमें शुरूआती दौर में यह नहीं सूझ पा रहा था कि काम शुरू कैसे करें, जैसे तैसे हमारी टीम वहां काम को अंजाम तो दे रही है लेकिन लगातार फ़ैल रहे संक्रमण से काम को गति नहीं मिल पा रही है। उन्होंने वर्तमान में यह स्पष्ट करने से मनाकर दिया कि अभी कितने लोगों की लाशें वहां होंगी उन्होंने प्रश्न को टालते हए कहा कि स्थिति बहुत गंभीर है और कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगी। उन्होंने शासन को इस सम्बन्ध में अवगत करा दिया है कि अगर जल्दी ही कुछ त्वरित कार्यवाही नहीं की गयी तो स्थिति और भयावक हो सकती है।
उŸाराखण्ड में बनेगी रिकन्सट्रक्शन एंड रिहेबिलिटेशन ऑथॉरिटी
- नदी तटों से निश्चित दूरी पर हो सकेगा हो सकेगा निर्माण
देहरादून, 1 जुलाई। आपदा के बाद चारों ओर से मिल रही किरकिरी के बाद सोमवार को प्रदेश मंत्रिमण्डल की बैठक में उŸाराखण्ड रिकन्सट्रक्शन एंड रिहेबिलिटेशन ऑथॉरिटी के गठन को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी गई। इसके बाद अब प्रदेश के नदी तटों और नदी के पास एक निश्चित दूरी तक निर्माण कार्य पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाएंगे। वहीं आपदा के मानकों में शिथिलिकरण करते हुए आपदा प्रभावित लोगों को प्रदेश सरकार मुआवजा देगी। राज्य मंत्रिमण्डल के बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि यात्रा मार्ग पर छोटे-छोटे ढाबों को आपदा राहत राशि से कवर कर लिया गया है। इसके तहत दो लाख तक की छति को शत प्रतिशत भुगतान किया जाएगा, जबकि दो लाख से लेकर दस लाख तक 30 फीसदी और दो से लेकर बीस लाख तक 40 फीसदी राशि का भुगतान प्रदेश सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जिन स्थानों पर नदी का मलबा स्थानीय लोगों के खेतों और खलिहानों में आया, उसे हटाने के लिए प्रदेश सरकार ने ग्रामीणों को तीन माह की छूट दे दी है, इस नीति के तहत ग्रामीण अब अपने खेतों में आए मलबे को बिना इजाजत के हटा व बेच सकते हैं, लेकिन इस मलबे को हटाने के लिए मशीन का प्रयोग करना होगा तो, उसके लिए जिलाधिकारी से स्वीकृति लेनी होगी। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने राज्य के तमाम बैंकों से ऋण प्राप्त होटल ढाबे और यात्रा मार्ग पर जुड़े अन्य कार्यों में लगे लोगों को उनके बैंक कर्ज से एक जून से 31 मार्च तक की माफी दे दी है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय बैंकों से भी आपदाग्रस्त क्षेत्र के राज्यवासियों को छूट देने के लिए अनुरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्राभावित क्षेत्रों में एक माह तक मुफ्त में राशन की व्यवस्था करेगी। जहां मार्ग पूर्णतः क्षतिग्रस्त हैं, वहां हैलीकाप्टर की सुविधाएं दी जाएगी। दैवीय आपदा के कारण पूरी तरह से सम्पर्क से कट गए गांवों में सम्पर्क मार्गों के नवनिर्माण व पुर्निर्माण को पीएमजीएसवाई के तहत स्वीकृति दी जाएगी। बीजापुर राज्य अतिथि गृह में पत्रकारों को संबोधित करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि राज्य को केंद्र सरकार द्वारा 1000 करोड़ रूपये की मदद दी गई है, इस आपदा पर वित्त मंत्रालय की एक टीम राज्य का दौरा करने वाली है। उन्होंने कहा कि राज्य को और अधिक आर्थिक सहायता दिए जाने पर केंद्र सरकार विचार कर रही है। उन्होंने उम्मीद जताई की यह आर्थिक सहायता दो हजार से तीन हजार करोड़ रूपये तक हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मनरेगा की तहत किए जाने वाले कार्याें की शर्तों में भी परिर्वतन किया जाने वाला है, इसके लिए प्रदेश के विधायकों और सांसदों ने इस समयसीमा को 100 दिन से 150 दिन करने की मांग की है, जिस पर कुछ सप्ताह में निर्णय हो जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में 500 किमी मार्ग के लिए स्वीकृति दी गई है। सोमवार को सचिवालय में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने आपदा के बाद उŸाराखण्ड में प्रभावित क्षेत्रों में अवस्थापना के पुनर्विकास पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ। केंद्रीय मंत्री ने इंदिरा आवास के तहत 14 हजार अतिरिक्त इकाईयों की स्वीकृति भी दी। उन्होंने कहा इसको दोगुना भी किया जा सकता है। उन्होंने मनरेगा के तहत प्रस्ताव भेजने को कहा ताकि अतिरिक्त बजट मंजूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य के 1400 सौ गांवों के संपर्क मार्ग टूट गए हैं केंद्र सरकार प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत कार्य करेगी। वहीं प्रोजेक्ट की कार्ययोजना के लिए वर्ल्ड बैंक व एडीबी की संयुक्त टीम शीघ्र ही उŸाराखण्ड आएगी। वहीं कांग्रेस की महासचिव अंबिका सोनी ने विपक्ष द्वारा सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि सरकार राहत कार्यों में जुटी हुई है। प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए वर्ल्ड बैंक का सहयोग लिए जाने का भी निर्णय लिया गया।
प्रभावित क्षेत्रों का जन-जीवन पटरी पर लाना हमारी प्राथमिकता: राज्यपाल
देहरादून, 1 जुलाई, । ’’राज्य में आई भयावह दैवीय आपदा ने राज्य में विकास की गति को गहरा झटका देकर हमें पांच साल पीछे कर दिया है। बचाव कार्य के बाद अब वास्तविक पीड़ितों को पर्याप्त राहत पहुंचाना और महामारी की संभावनाओं को शून्य करने के लिए व्यापक तैयारियां करते हुए प्रभावित क्षेत्रों का जन-जीवन पटरी पर लाना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए हमारी सरकार पूरी मुस्तैदी से कार्य कर रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि सभी के सहयोग से हम हर चुनौती का सामना करने में सक्षम रहेंगे। मैं सेना तथा सभी अर्द्ध सैनिक बलों के अधिकारियों व जवानों को सलाम करता हूं जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर बचाव-राहत कार्य किया।’’ उत्तराखण्ड के राज्यपाल डॉ0 अज़ीज़ कुरैशी ने कल देर सायं अपने हरिद्वार भ्रमण के दौरान जनपद के वरिष्ठ अधिकारियों से हरिद्वार जनपद में आई बाढ़ के कारण हुई जान-माल की क्षति की समीक्षा के दौरान कही। जिलाधिकारी निधि पाण्डे व एसएसपी राजीव स्वरूप के द्वारा जनपद में आपदा प्रभावित क्षेत्रों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के दौरान राज्यपाल ने यह भी कहा कि आपदा के दौरान निजी संपत्ति को पहुंची क्षति का सर्वेक्षण व आकलन गंभीरता से हो ताकि पीडितों विशेषतः गरीबों को पर्याप्त क्षति पूर्ति मिल सके। राहत सामग्री के वितरण में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश देते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह भी सुनिश्चित कर लें कि वास्तविक रूप से प्रभावित कोई भी परिवार या व्यक्ति पर्याप्त राहत सामग्री से वंचित न रहे। विभिन्न संगठनों के माध्यम से प्राप्त सहायता राशि व राहत सामग्री के विषय में अवगत होने के दौरान राज्यपाल ने यह भी हिदायत दी कि ’’मुख्यमंत्री सहायता कोष’’ या ’आपदा राहत कोष’ के नाम पर किसी को भी अवैध ढंग से धनराशि संकलन का मौका न मिले इस पर विशेष नजर रखी जाए। आपदा एवं राहत कार्याें का जायजा लेने से पूर्व राज्यपाल ने कनखल स्थित आश्रम पहुंचकर भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगद्गुरू ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर साधु-संत समाज के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी साधु-संत मौजूद थे। राज्यपाल की उपस्थिति में राज्य में आई भीषण आपदा में प्रभावित धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार तथा केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना हेतु जनभावनाओं व साधु-संतों की अपेक्षानुरूप आवश्यक कार्यवाही पर भी गंभीर चर्चा हुई। राज्यपाल ने साधु-संतों को आश्वस्त किया कि वे साधु-संतों की भावनाओं का पूर्ण सम्मान करते हुए हर संभव सहायता के लिए सदैव तत्पर हैं। इसके बाद राज्यपाल ने पिरान कलियर पहुंचकर पाक साबिर शाह की मजार पर चादर व अकीदत के फूल चढ़ाए और राज्य को दैवीय आपदाओं से मुक्त करने की दुआ मांगी।
शिक्षा आचार्यों की मांगों के प्रति उदासीन बनी है सरकार
- समायोजित करने की मांग को लेकर धरना जारी
देहरादून, 1 जुलाई, । शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक संगठन का स्नातक योग्यताधारी शिक्षा आचार्यों एवं अनुदेशकों को शिक्षामित्र के रूप में समायोजित करने की मांग को लेकर चलाया जा रहा अनिश्चितकालीन धरना जारी है। शिक्षामित्र के रूप में समायोजित न किए जाने से शिक्षा आचार्यों और अनुदेशकों में सरकार के प्रति गहरा रोष व्याप्त है। संगठन का कहना है कि इतने लंबे आंदोलन के बावजूद सरकार की कानों में जूं नहीं रेंग रही हैं। शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक संगठन द्वारा लैंसडाउन चौक स्थित पुराना रायपुर बस स्टैंड पर धरना दिया जा रहा है। शिक्षा आचार्य संगठन का कहना है कि ईजीएस एवं एआईई सेेंटरों में कार्य कर चुके शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक वर्ष 2008 से अपनी एक सूत्री मांग को लेकर आंदोलनरत हैं लेकिन सरकार द्वारा इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। सरकार की अनदेखी से हटाए गए शिक्षा आचार्य और अनुदेशकों में रोष व्याप्त है। सरकार द्वारा वर्ष 2008 में ईजीएस एवं एआईई सेेंटरों को बंद कर दिया गया था। ईजीएस एवं एआईई सेेंटरों को बंद किए जाने से इनमें कार्यरत 1745 शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक बेरोजगार हो गए थे। सरकार ने 18 जुलाई 2010 को शासनादेश जारी कर प्रथम चरण में स्नातक योग्यताधारी 1,107 शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशकों को शिक्षामित्र के रिक्त पदों पर वरिष्ठता के आधार पर आरक्षण के प्राविधानों के अनुरूप समायोजित कर दिया था लेकिन जो शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक रह गए थे उन्हें अभी तक समायोजित नहीं किया गया है। वर्ष 2011-12 तक स्नातक योग्यता हासिल करने वाले 1,745 शिक्षा आचार्यों एवं अनुदेशकों को शीघ्र शिक्षामित्र के रूप में समायोजित किया जाए। शिक्षामित्र के पदों पर समायोजित न किए जाने से ईजीएस एवं एआईई सेेंटरों को बंद किए जाने से बेरोजगार हुए शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशकों के समक्ष आजीविका का संकट पैदा हो गया है। संगठन का कहना है कि प्रदेश में शिक्षामित्रों के 1,797 पद रिक्त चल रहे हैं, लेकिन सरकार इन पदों पर शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशकों का समायोजन नहीं कर रही है, जबकि शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक समायोजन की मांग को लेकर आंदोलनरहत हैं। धरना देने वालों में जैल सिंह रावत, खेम सिंह, रतिराम, देवेंद्र बिष्ट, परविंदर सिंह, दौलत सिंह, रीमा रावत, लक्ष्मी देवी, शमशाद, अंबरीश, प्रदीप कुमार, सरिता देवी, वीना देवी आदि शामिल रहे।
आपदाग्रस्त क्षेत्रों में खाद्यान्न संकट गहराया
देहरादून, 1 जुलाई, । उत्तराखंड में आपदाग्रस्त क्षेत्रों में खाद्यान्न संकट गहरा गया है। सड़कें और रास्ते ध्वस्त होने के कारण कई गांवों में खाद्यान्न नहीं पहुंच पा रहा है, जिस कारण लोगों के सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है। राज्य में आई भीषण दैवीय आपदा से केदारघाटी, गंगोत्री, यमुनोत्री, हर्षिल, बद्रीनाथ, धारचूला आदि क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है। जनहानि सबसे अधिक केदारघाटी में हुई है, आपदा के चौदह दिन बीत जाने के बाद भी केदारघाटी में जगह-जगह पर शव मलबे में दबे पड़े हुए हैं। अधिकांश शव सड़ चुके हैं जिस कारण उनकी पहचान भी नहीं हो पा रही है। कई शव अभी पत्थरों और चट्टानों के नीचे दबे हुए हैं। दैवीय आपदा से लोगों के मकान, दुकान, खेत, खलिहान सब तबाह हो चुके हैं। इस आपदा ने कई लोगों को बेघर कर दिया है। सड़कें और रास्ते बुरी तरह से ध्वस्त हो रखे हैं, जिस कारण प्रभावित क्षेत्रों में राहत नहीं पहुंच पा रही है। करीब 136 ग्रामपंचायतें ऐसी हैं जो दैवीय आपदा से बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। लोगों का सब कुछ बह चुका है। केदारघाटी, जोशीमठ में ग्रामपंचायत नीति, गमशाली, बांपा, फरकिया, कैलाशपुर, महरगांव, मलारी, कोषा, द्रोणनगरी, गरफक, कागा, माणा, लामबगड़, पांडुकेशर, पूलना, घांघरिया, डुमक, कलगोठ, पल्ला, जखोला, किमाणा, गणाई, मोल्टा, ज्यारीथैणा, उर्गम, भर्की एवं भेटा गांव में खाद्यान्न संकट पैदा होने से लोग अन्न के दाने-दाने को जूझ रहे हैं। उत्तरकाशी में सुक्खी, गगनानी, बुकी, भटवाड़ी, चितेड़ी, मल्ला, सैंज, भाटुकसैंण, मनेरी, नेताल, गरमपानी आदि स्थानों पर सड़क गंगा में समा चुकी है। खाद्यान्न न पहुंचने के कारण इन गांवों में भुखमरी के हालात पैदा हो चुके हैं। लोगों के पास घर में जो खाद्यान्न था वह खत्म हो चुका है, कई गांव वालों ने फंसे तीर्थ यात्रियों को एक सप्ताह तक भोजन कराया अब उनके पास कुछ नहीं बचा है। सड़क और रास्ते ध्वस्त होने के कारण इन गांवों में न राहत पहुंच पा रही है और नहीं लोग खाद्यान्न की व्यवस्था कर पा रहे हैं। लोगों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बरसात से खाद्यान्न व ईंधन का संकट गहराया
देहरादून, 1 जुलाई, । देहरादून, आजखबर। लगातार हो रही भारी बरसात के चलते मोटर मार्ग के जगह जगह क्षतिग्रस्त होने से क्षेत्र में खाद्यान्न, कैरोसीन तथा ईंधन का संकट गहराने लगा है। ईंधन न मिलने से गुप्तकाशी जीप टैक्सी यूनियन की पचास फीसद वाहन जगह जगह खड़े हैं। जिस कारण लोगो को आवाजाही करने में खाशी दिक्कतंे आ रही हैं। आलम यह है कि एक वाहन में बीस से पच्चीस लोग जबरदस्ती यात्रा करने पर आमादा हैं। वहीं कालीमठ , त्रियुगीनारायण में मोटर मार्ग बाधित होने से भी लोगो को पांच से पन्द्रह किमी पैदल सफर करके जरूरी सामाग्री गांवो तक पहुचायी जा रही है। गुप्तकाशी में जरूरी सामान की खरीददारी करने पहुचे ग्रामीणो का वाहन न मिलने से घंटो इंतजार करना पड़ रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमसिंह नेगी, भगत कोटवाल ने कहा कि मोटर मार्ग के दुरूस्तीकरण करने के साथ ही साथ मयाली मार्ग से गुप्तकाशी क्षेत्र में ईधन की सप्लाई जल्द करनी चाहिये। विभिन्न गांवो का महत्वपूर्ण पड़ाव गुप्तकाशी में जरूरी सामान की खरीददारी के लिये प्रतिदिन सैकड़ो लोग दूरस्थ क्षेत्रों से आ रहे हैं लेकिन वाहनेां की कमी के चलते वे जान हथेली पर रखकर सफर कर रहे है। उन्होने तत्काल प्रभाव से शासन प्रशासन से उक्त समस्याओं के निराकरण की मांग की हैं।
ओवरलोडिंग पर नहीं लग पा रहा अंकुश
देहरादून, 1 जुलाई, । जौनसार-बावर क्षेत्र में वाहनों में ओवरलोडिंग की समस्या पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। ओवरलोडिंग के चलते क्षेत्र के रूटों पर आए दिनों सड़क दुर्घटनाएं घट रही हैं लेकिन न विभाग चेत रहा है और नहीं वाहन चालक सबक सीख रहे हैं। दस सीट के वाहन पर 35 से 40 तक सवारी ढोई जाती हैं। क्षेत्र में ओवरलोडिंग का एक बड़ा कारण बसों का न चलना भी है। जौनसार-बावर की यातायात व्यवस्था राम भरोसे है। वहां खस्ताहाल सड़कों पर ओवरलोडेड वाहन दौड़ रहे हैं, जो कि आए दिनों दुर्घटना का कारण भी बन रहे हैं। एक तरफ खस्ताहाल सड़कों के चलते लोग दुर्घटनाओं में जान गवां रहे हैं, वहीं क्षेत्र में पर्याप्त बसें न चलने के कारण लोगों को यूटीलिटियों व अन्य चौपहिया वाहनों की छतों पर बैठकर जोखिम भरा सफर करना पड़ता है। परिवहन विभाग व प्रशासन के अधिकारी जौनसार बावर क्षेत्र की यातायात व्यवस्था को सुधारने के दावे करते हैं, लेकिन हकीकत उससे काफी जुदा है। हर बार आरटीओ व जिलाधिकारी क्षेत्र के रूटों पर पर्याप्त बसें चलाने के दावे करते हैं लेकिन अमल नहीं होता। साहिया-पजिटिलानी, बैराटखाई-बिसोगलानी, कालसी-खंडकांडी, कोटा-डिमऊ, कालसी-लखवाड़, नागताथ-कालसी, हाजा-दसोई-फिडोलानी, देहरादून-माक्टी मोटर मार्ग पर एक भी बस का संचालन नहीं हो रहा है। इन मोटर मार्गों से क्षेत्र के कई गांव जुड़े हुए हैं। बसें संचालित न होने से लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यूटिलिटी में क्षमता से अधिक सवारी बैठने पर क्षेत्र में आए दिनों दुर्घटनाएं हो रही हैं। स्थानीय निवासी रणवीर सिंह चौहान, गजेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि क्षेत्र के रूटों पर बसों के संचालन के संबंध में कई बार विभागीय अधिकारियों को लिखा जा चुका है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि क्षेत्र के रूटों पर न परिवहन निगम की बसों का पर्याप्त संख्या में संचालन हो पा रहा है और नहीं निजी बसों का। बसें न चलने के कारण ही यूटिलिटियों में ओवरलोडिंग की समस्या बनी रहती है।
मार्ग की हालत बदहाल होने से उठानी पड़ रही परेशानी
देहरादून, 1 जुलाई, । कालसी-बैराटखाई मोटर मार्ग बदहाल हो चुका है। पूरे मार्ग में जगह-जगह पर गड्ढे बने हुए हैं। वहां से निकलने वाले वाहन चालकों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बार-बार शिकायत के बाद भी विभाग मार्ग के सुधारीकरण के प्रति उदासीन बना हुआ है। विभाग की अनदेखी से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। तीस किमी लंबे कालसी-बैराटखाई मोटर मार्ग से कोथी, भौंदी, बिजऊ, खणी, कुइथा, थैना, भागना, भंद्रोटा, कोफ्टी, समाया, बाइथा, जोशीगोथान, हमरऊ, बसाया, मसराड़ और सिंगोर समेत दो दर्जन से अधिक गांव जुड़े हुए हैं। यह मार्ग लोनिवि साहिया के अधीन आता है। विभाग मार्ग के रखरखाव के प्रति उदासीन बना हुआ है। विभाग ने इस मार्ग का पिछले कई वर्षाे से सुधारीकरण नहीं कराया है, जिससे कदम-कदम पर गड्ढे बन गए हैं। कुछ स्थानों पर मार्ग की पेंटिंग उखड़ चुकी है तो कुछ स्थानों पर दीवारें क्षतिग्रस्त हैं। हालात यह हैं कि यात्रियों को हिचकोले भरा सफर तय करना पड़ता है, दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। मार्ग पर आए दिनों दुपहिया वाहन चालक गिरकर चोटिल हो रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता जवाहर सिंह का कहना है कि मार्ग के सुधारीकरण के संबंध में लोनिवि साहिया के अधिकारियों से कई बार कहा जा चुका है, लेकिन विभाग उदासीन बना हुआ है। उन्होंने कहा यदि विभाग ने मार्ग का सुधारीकरण कार्य जल्द नहीं शुरू किया तो ग्रामीण आंदोलन को बाध्य होंगे। ग्रामीणों ने सड़क के सुधारीकरण को लेकर मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग को एक ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में मांग की गई है कि सड़क का सुधारीकरण कार्य शीघ्र शुरु किया जाए। अतिवृष्टि के चलते मार्ग में जगह-जगह पर मलबा आ रखा है। मलबा जमा होने से मार्ग कई स्थानों पर संकरा हो चुका है।
(राजेन्द्र जोशी)

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