उत्तर प्रदेश में दलित महापुरुषों की स्मृति में बने स्मारकों और पार्को की सुरक्षा खतरे में पड़ने वाली है। सवाल यह है कि इन स्मारकों-पार्को की देखभाल अब कौन करेगा, क्योंकि देखभाल की जिम्मेदारी संभाल रहे कर्मचारी और अधिकारी अब प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर अन्य विभागों में भेजे जाएंगे। एक अधिकारी के मुताबिक, स्मारकों में तैनात साढ़े पांच हजार कर्मचारियों को बहुत जल्द विभागों में भेजने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। स्मारक संरक्षण समिति की नियमावली में इस आशय के बदलाव पर मुख्य प्रबंधक और पदेन सचिव ने मुहर लगा दी है। जल्द ही सोसाइटी के रजिस्ट्रार के जरिए इस बदलाव को समिति की नियमावली में शामिल कर लिया जाएगा।
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती मायावती सरकार ने दलित महापुरुषों के स्मारकों और पार्को की सुरक्षा के लिए लगभग आठ हजार सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति की थी। इन सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति पारदर्शी तरीके से की गई थी। यही वजह है कि अखिलेश यादव सरकार इन सुरक्षाकर्मियों को चाहकर भी नहीं हटा पा रही है। दरअसल, इन सुरक्षाकर्मियों के वेतन पर सरकार को भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ रही है जबकि इन स्मारकों में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों से प्राप्त आय से खर्च पूरा नहीं हो पा रहा है। जबसे समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार प्रदेश की सत्ता में आई है, तब से इन कर्मचारियों को अन्य विभागों में भेजने के लिए कई बार मुख्य सचिव स्तर तक बैठक की गई। लखनऊ और नोएडा के जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटी बनी। मगर इस संबंध में कोई भी अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका।
भ्रम यह था कि इस फैसले के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाना होगा। मगर बाद में जानकारी हुई कि अगर समिति को भंग करना हो तब उसकी सहमति कैबिनेट से लिया जाना जरूरी है, न कि केवल एक नियम बदलने के लिए। इसलिए नियम में बदलाव सोसाइटी के रजिस्ट्रार के माध्यम से ही किया जा सकता है। प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि पदेन सचिव और मुख्य प्रबंधक अष्टभुजा प्रसाद तिवारी ने नियम में बदलाव के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसको जल्द ही अमल में लाया जाएगा।
उधर, डा. भीमराव अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल का कहना है कि दलित महापुरुषों के स्मारकों और पार्को से सुरक्षाकर्मियों को हटाना ठीक नहीं है। उन्हांेने कहा कि कुछ दिनों पूर्व कुछ शरारती तत्वों ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मूर्ति तोड़कर सूबे की शांति भंग करने का षड्यंत्र रचा था। लेकिन सरकार के सख्त रुख के कारण इसमें शरारती तत्व सफल नहीं हो पाए थे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार स्मारकों और पार्को से सुरक्षाकर्मी हटाती है तो इसका व्यापक विरोध किया जाएगा।

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