विश्व हिंदू परिषद की अयोध्या में प्रस्तावित 84 कोसी परिक्रमा को देश के सांप्रदायिक सदभाव के लिये बड़ा खतरा बताते हुए गोवर्धनपीठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि देश की शांति प्रभावित होने से पहले ही इस संबंध में उचित कार्रवाई की जानी चाहिये। स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि उन्होंने इस बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर देश की शांति को बिगाड़ने का षडयंत्र रच रहे लोगों के खिलाफ पहले ही दंडात्मक कार्रवाई करने की जरूरत व्यक्त की है।
उन्होंने चौरासी कोसी यात्रा को ढ़ोंग बताते हुए कहा कि हिंदुत्व को बदनाम करने वाले लोग राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति के लिये देश के भोले भाले लोगों को फिर से अंधेरे में धकेलने की तैयारी कर रहे हैं। शंकराचार्य ने कहा कि अशोक सिंघल तथा उनके संगठन के लोगों को महत्व नहीं दिया जाना चाहिये। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले भी सिंघल तथा उनके लोगों की गतिविधियों से देश का सांप्रदायिक सदभाव बिगड़ चुका है। इसलिये देश की शांति प्रभावित होने का संशय मात्र होने पर ही उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये।
साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास ने भी चातुर्मास में 84 कोसी परिक्रमा को गलत बताया है। यहां जारी एक विज्ञप्ति में संत ज्ञानदास ने कहा कि चातुर्मास में कोई धार्मिक कृत्य नहीं किया जाता और यह वैदिक परंपराओं का उल्लंघन है। उन्होंने इस मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह कौन से साधु संतों की बात कर रही है जो चातुर्मास में 84 कोसी परिक्रमा के लिये उतावले हैं। हालांकि महंत ज्ञानदास ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इस संवेदनशील मुद्दे पर विवेक से काम लेने की सलाह देते हुए कहा कि वह 84 कोसी परिक्रमा को रोककर हिंदुओं के मूल अधिकारों पर कुठाराघात न करें, क्योंकि राममंदिर किसी दल विशेष या संगठन का मसला न होकर संत समाज का मुद्दा है।
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