सरकार ने बुधवार को कहा कि एम्स और सुपर स्पेशियलिटी संकाय में नियुक्ति एवं पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त करने के लिए वह पुनरीक्षा याचिका दायर करेगी और जरूरत हुई तो संसद के इसी सत्र में संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा।
लोकसभा की आज की कार्यवाही शुरू होते ही लगभग सभी दलों के नेताओं ने शीर्ष अदालत के इस फैसले के खिलाफ अपने विचार रखे और इसे निरस्त करने के लिए संविधान संशोधन की मांग की। विधि एवं न्याय मंत्री कपिल सिब्बल ने आश्वासन दिया, सरकार सोमवार को शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षा याचिका दायर करेगी और अगर याचिका मंजूर नहीं हुई तो संसद के वर्तमान सत्र में संविधान संशोधन विधेयक लायेंगे।
अधिकांश दलों के सदस्य हालांकि सिब्बल के बयान से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने सीधे संविधान संशोधन करने की मांग की। सदन में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि शीर्ष अदालत ने याचिका के दायरे से बाहर जानकर निर्णय दिया है। कल सर्वदलीय बैठक में इस पर चर्चा हुई थी। सरकार ने कहा था कि सोमवार को पुनरीक्षा याचिका दायर करेंगे और अगर राहत मिल गई तो ठीक नहीं तो रास्ता निकालेंगे। अगर कानून मंत्री सदन में इसी बात की घोषणा करते हैं तो सदस्य कुछ आश्वस्त होंगे।
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